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16 May 2020 · 1 min read

प्रवासी मजदूर

*** प्रवासी मजदूर ***
******************

अधनंगे बदन नंगे कदम
बढते कदम मंजिल ओर

खाली पेट बांध भूख
प्यासे पंछी नीड़ ओर

सिर रखी भारी गठरी
चले मजदूर घर ओर

बेबस उदास तंगहाल
हो मजबूर छोड़ छोर

नन्हा शव कंधे पर लिए
चले कहीं न छूटे छोर

लोकतांत्रिक व्यवस्था
भटके श्रमिक चहुंओर

बदहाली, बिगड़ी दशा
चल रहें कुली किस ओर

हिन्दू हिंदुस्तान देश के
विदेशी सा हैं निज ठौर

रोते बिलखते सिसकते
ना कोई उनकी भोर

चुनाव कभी के बीते
होते हालात कुछ ओर

राजनीतिक गलियारा
जहाँ है संकीर्ण खोर

पलायन पे क्यों आतुर
आज मजदूर हर ओर

सरकारे हैं निक्कमी
लेती न प्रवास पर गोर

सुखविंद्र बहुत दुखी हैं
संकट में मजदूर घोर
******************

सुखविंद्र सिंह मनसीरत

Language: Hindi
1 Like · 190 Views
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