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10 Jul 2020 · 1 min read

प्रवक्ता

टेलीविजन की
स्क्रीन पर
आये दिन

कभी ढीली
तो
कभी कसी हुई
रस्सियों पर
बल्ली थामे
दो खम्बो की
दुरियों को कई बार नापने के बाद

एक दिन जब मैं
गिरा और पीठ
सहला ही रहा
था।
तो देखा
कि रस्सी पर करतब
जारी था।

कोई और चल रहा था
मेरी बल्ली को थामे।

मेरे कपड़ो पर,
अब तक के कहे
गए शब्दों की मिट्टी और धूल
चिपकी हुई थी।

अपनी व्यक्तिगत राय
को कोसते हुए,

मैं कपड़े झाड़ता हुआ
उठा।

अब मुझे नए शब्दों
की तलाश थी!!!

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 289 Views
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