प्रदूषित दिल्ली (भोजपुरी कविता)
प्रदूषित दिल्ली….
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छोड़ के अईनी आपन गांव
दिल्ली में मिलजाई छांव
जीवन बनजाई खुशहाल
रहे ईहै तब सोच हमार
सोच पे हमरा फीरल पनी
ऐह दिल्ली के करुण कहानी
शुद्ध हवा ना शुद्ध बा पानी।
देखीं जहाँ कोलाहल शोर
ध्वनि प्रदूषण बा पुरजोर
जघे- जघे पानी के टोटा
लोगवा सुघर दिल से खोटा
देश के हमरा ई रजधानी
ऐह दिल्ली के करुण कहानी
शुद्ध हवा ना शुद्ध बा पानी।
कचड़ा के पहाड़ खड़ा बा
फिर भी दिल्ली नाम बड़ा बा
धुआं सा फईलल बा चहूंओर
बड़ – बड़ गाड़ीन के शोर
एक से बड़का एक बीमारी
ऐह दिल्ली के करुण कहानी
शुद्ध हवा ना शुद्ध बा पानी।
बड़ चीमनी से से नीकले धुआं
मानव जीनगी खतीरा जूआ
पेड़े लगी सरकार के वादा
जंगल काट महल बन जाता
विष से भरल यमुना के पानी
ऐह दिल्ली के करुण कहानी
शुद्ध हवा ना शुद्ध बा पानी।
आज ई बात समझ में आईल
ऐह से नीक गांव मोर भाई
शुद्ध हवा अभिनो बा उहवाँ
“सचिन”के जन्मभूमि ह जहवाँ
उहवाँ ना कवनों परेशानी
ऐह दिल्ली के करुण कहानी
शुद्ध हवा ना शुद्ध बा पानी।।….
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©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
12/11/2017