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28 Jun 2020 · 1 min read

“प्रदूषण सोच का”

नही…नही…नही…
तुम खिड़कियाँ मत खोलना
बन्द ही रखना
नई खिड़कियाँ खोलना
इतना आसान नही है
पुरखो ने
बड़े जतन से बंद की हैं
तुम्हारी हिफाज़त के लिए
अगर तुमने बिना उपाय इनको खोला
तो फिर बन जायेगा सब कुछ शोला
तुम यूँ हीं बंद रहो कमरे में
अपने ऐयरप्यूरीफायर के साथ
या फिर रोज़ लगाओ
एक नया पौधा
एक नयी सोच के साथ
पुरखों के किए जतन को
अपनी कोशिशों और दिमाग को
नयी खिड़कियाँ खोलने में लगाओ
जिससे खुलने के बाद
ताज़ी स्वच्छ नई हवा में
खुलकर साँस तो चलाओ
तुम्हारे हाथों से खुलने के करार में
नई खिड़कियाँ हैं इंतज़ार में

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 10/10/2019 )

Language: Hindi
2 Comments · 361 Views
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