प्रत्युत्तर
हार पर हाहाकार हई,
विकट हर व्यवहार हुई,
पथ के पथार पर,
पहाड़ समवार हुआ,
हाँ हाँ यही उद्दार हुआ ।
इतिहास के चित्कार पर,
संसार ने उपहास कर,
उठा दिया सवाल पर,
हम रहे जबाब पर,
साथ था उधार पर ।
भटक भटक मै दर-बदर,
जान लो हृदय रुदन ।
रार के पहाड़ पर,
खड़ा करो दिवाड़ पर,
मै मिलूँगा चाँद पर,
चमकता कहीं कतार पर ।
आशीष कुमार