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8 Oct 2019 · 1 min read

प्रतीक

रावण , मेघनाद और कुम्भकर्ण
पुतले के दहन से
असत्य पर सत्य की
जीत मानकर सभी आनन्दित हैं ……..
बेखबर हैं सभी
अपने ही आसपास मौजूद
शराफत के मुखौटे लगाए
आतंक , अत्याचार ,अहंकार
और भ्रष्टाचार के शायद कभी न
मरने वाले जीते जागते पुतल्रों से ………
सतयुग में रावण एक बार
मरने के बाद दोबारा पैदा नहीं हुआ ……
कलयुग में यह हर ओर
पैदा हो रहे हैं सदिओं से
केवल प्रतीक स्वरूप ही
इन्हें मारने की प्रथा चल रही है ………….
ये आज भी जीवित हैं ‘ सुधीर ‘
और बढ़ रहे हैं चारों ओर
विभीषण से बेख़ौफ़ बिना नाभि के ……….

Language: Hindi
515 Views
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