Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jul 2017 · 5 min read

**प्रतिभा पलायन** क्यों ? ज़रा सोचिए !

*देश के हित को सोच कर ही हम सब को आगे बढ़ना है| प्रतिभा पलायन नहीं निष्कर्ष, हिंदुस्तान में ही अपना सर्वस्व कायम रखना है|

प्रतिभा संपन्न व्यक्ति ही किसी समाज या राष्ट्र की वास्तविक संपदा होती है| इन्हीं की दशा एवं दिशा पर देश का भविष्य निर्भर करता है अगर भारत के स्वर्णिम अतीत में देखे तो प्रतिभाओं की बहुलता के कारण ही भारत समृद्धि,खुशहाल और ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में विश्व का अग्रणी देश था| प्रतिभाओं की आज भी पूर्व काल की तरह देश में कोई कमी नहीं है;किंतु उनकी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है,और चिंता का विषय है ‘ब्रेन ड्रेन’ यह कोई बीमारी नहीं है पर बीमारी से कम भी नहीं है|’ब्रेन ड्रेन’ का अर्थात प्रतिभा पलायन है| यह ऐसा रोग है जो देश के विकास को खाए जा रहा है;जिसके अंतर्गत देश के बुद्धिमान और अति कुशल व्यक्ति विदेशों में जाकर बस रहे हैं|

**संस्कृत में एक कहावत भी है- “जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी” परंतु आज के प्रतिभावान शायद इस सत्य से पूर्णता अनभिज्ञ है तभी तो प्रतिभाएँ अपना देश छोड़कर दूसरे देशों में जा बसने में अपने आपको गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं |अपने कुशल और प्रतिभावान संपन्न व्यक्तियों की हानि से विकासशील देश सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं | इसका मुख्य कारण यह है कि विकासशील देशों में बेहतर और अन्य सुविधाओं के रूप में होने वाला लाभ कम है|आज जरूरत है इस देश को वैज्ञानिक सोच को विकसित करने की | आज क्यों ? डॉक्टर से लेकर खगोल वैज्ञानिक या खगोल शास्त्री तक विश्व के दूसरे देशों की तरफ रुख करते हैं | अच्छी तनख्वाह, बेहतर शोध के अवसर, बेहतर रहन-सहन की लालसा में क्यों हमारी प्रतिभाएँ पलायन की बात सोचती हैं |

क्या किसी ने कभी इस बात पर विचार किया है ? क्या हमारी सरकार निंद्रा अवस्था में है ?क्या वह नहीं जानती कि अगर देश के प्रतिभावान व्यक्ति विदेशों में अपनी सेवाएँ देंगे तो अपने देश की प्रगति में कैसे योगदान करेंगे ?बहुत से ऐसे सवाल हैं जिनके उत्तर शायद आज क्या कभी ना मिल पाए |

भारत प्रतिभा से संपन्न राष्ट्र है पूरे विश्व को इसने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है और विश्व का हर राष्ट्र भारत के प्रतिभावान व्यक्तियों का, उनकी क्षमताओं का लोहा मानता है | आज कोई राष्ट्र अगर भारत के साथ अपने संबंध मधुर बनाना चाहता है तो उसके पीछे भारत की अपनी प्रतिभा क्षमता है | ऐसे तथ्य किसी राष्ट्र के परिपेक्ष में हो तो यह संभव ही नहीं कि वह राष्ट्र संपन्न और समृद्ध न हो|

पर भारत के संदर्भ में यह सच्चाई किस हद तक सार्थक मानी जाएगी | आप एक ओर तो अपनी प्रतिभा का लोहा विश्व को मनवा रहे हैं वहीं दूसरी और देश की अपनी आंतरिक स्थिति सुदृढ़ नहीं है | आप अपने विकास के लिए दूसरे देश के आगे हाथ फैला रहे हैं |ऐसा क्यों ? प्रश्न तो बहुत हैं परंतु उत्तर सिर्फ एक है |

प्रतिभाएँ धन के लालच में और कुछ सुविधाओं के लोभ में दूसरे देशों का रुख कर गए | इसके पीछे सिर्फ कोई एक पक्ष जिम्मेदार नहीं है | इसके पीछे इससे जुड़े सभी तंत्र जिम्मेदार माने जाएँगे| जिस वक्त पंडित जवाहरलाल नेहरु जी ने ऐसे सर्वश्रेष्ठ संस्थानों की आधारशिला रखी थी तो उस वक्त उनका सिर्फ एक ही लक्ष्य और उद्देश्य था कि किस प्रकार हम अपनी प्रतिभाओं को विकसित कर भारत को आत्मनिर्भर संपन्न राष्ट्र बनाया जाए पर आज हमारे प्रतिभावान शिक्षार्थी इन बातों को नहीं समझ पा रहे हैं |

आज कहीं ना कहीं हमारी सरकार भी ऐसे छात्रों को उनकी शैक्षणिक योग्यता के अनुकूल उचित संसाधन मुहैया नहीं कर पाई जिसका परिणाम प्रतिदिन भारत से प्रतिभा का पलायन होता है | इसका परिणाम यह हो रहा है कि भारत विकास की दौड़ में पीछे होता जा रहा है और उसकी प्रतिभा संपन्न लोगों का लाभ दूसरा देश उठा रहा है इससे भारत को लगभग हर वर्ष कई अरब डॉलर का नुकसान होता जा रहा है | कहा जाता है कि कोई भी राष्ट्र तभी सुपर पावर बन सकता है जब उसके पास अपनी वैज्ञानिक क्षमता हो | हम वैज्ञानिक उत्पाद से लेकर अस्त्र-शस्त्र तक पर लाखों डॉलर खर्च करते हैं पर जब बात आती है वैज्ञानिक खोज एवं शोध की उस पर खर्च करते हैं पूरे सुरक्षा खर्च का मात्र चार या पाँच प्रतिशत आज इस सोच को बदलने की जरूरत है | जरूरत है वैज्ञानिक खोज को विकसित करने कि | हमें अपनी प्रतिभाओं को उचित अवसर उपलब्ध कराने होंगे | शोध के लिए उचित वातावरण अवसर और स्थान उपलब्ध कराना होगा उनको प्रोत्साहित करना होगा सम्मान दे कर उचित पारिश्रमिक और बेहतर जीवन शैली देकर जिससे कि वह बाहर का रुख न करें | अपने देश अपनी मातृभूमि पर ही रहकर उसके विकास और समृद्धि के बारे में सोचें |

अतः जो भी हो हमारे प्रतिभावान, बुद्धिजीवी और संपन्न लोग अपनी राष्ट्रीयता, अपनी देश सेवा का मान रखें | अगर हमें सुविधाएँ कम भी मिले तो हम कम-से-कम देश की प्रगति देश के स्वावलंबन की खातिर कुछ तो त्याग कर ही सकते हैं | शिक्षा की सार्थकता तभी मानी जाएगी जब वह अपने हित के साथ-साथ सामूहिक हित की बात करें | वहीं दूसरी तरफ हमारी सरकार को भी इस बात का ध्यान रखना है और प्रयास करना है कि हमारे शैक्षणिक प्रतिभावान लोगों को हर संभव सहायता मुहैया कराया जा सके तथा देश को विकास की राह पर अग्रणिय बनाया जा सके | राष्ट्र के विकास को गति देने के लिए प्रतिभाओं के पलायन को रोकना अति आवश्यक है इसके लिए उपयुक्त परिस्थितियां एवं वातावरण बनाना होगा |हमें उन बुद्धिजीवियों का पथ ग्रहण नहीं करना है जिन्होंने विदेशों में जाकर अपनी साख बनाई | पद और सम्मान ग्रहण किए | बेहतर अवसर और शोध कार्य को पूरा करने के लिए विदेशों का रुख किया | हमें डॉक्टर चंद्रशेखरवेंकटरमन, डॉक्टर होमी जहांगीर भामा ,डॉक्टर अब्दुल कलाम जैसी कई सम्मानित विभूतियों का अनुसरण करना है जिन्होंने इन्हीं साधन एवं सुविधाओं के बीच उल्लेखनीय उपलब्धियों से रष्ट्र को गौरवांवित किया है |अंत में मैं यही कहना चाहूँगी |

विकास गर करना है,
देश का उच्च स्तर पर ।
विकसित इसे बनाना है,
गर चिरकाल तक ।
प्रतिभा को अपनी हमको,
करना होगा देश पर न्यौछावर । चकाचौंध को देख अन्य की,
नहीं करना है प्रतिभा पलायन । अपने ही इस देश में रह कर,
देना है अपनी सेवा का
अंतिम क्षण तक ।।

Language: Hindi
1280 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सजन के संग होली में, खिलें सब रंग होली में।
सजन के संग होली में, खिलें सब रंग होली में।
डॉ.सीमा अग्रवाल
एक सांप तब तक किसी को मित्र बनाकर रखता है जब तक वह भूखा न हो
एक सांप तब तक किसी को मित्र बनाकर रखता है जब तक वह भूखा न हो
Rj Anand Prajapati
आदि शक्ति माँ
आदि शक्ति माँ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
तोता और इंसान
तोता और इंसान
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
आज उन असंख्य
आज उन असंख्य
*Author प्रणय प्रभात*
ज्योतिर्मय
ज्योतिर्मय
Pratibha Pandey
आप हो
आप हो
Dr.Pratibha Prakash
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
3193.*पूर्णिका*
3193.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"बाकी"
Dr. Kishan tandon kranti
محبّت عام کرتا ہوں
محبّت عام کرتا ہوں
अरशद रसूल बदायूंनी
सच और सोच
सच और सोच
Neeraj Agarwal
ग़ज़ल/नज़्म - प्यार के ख्वाबों को दिल में सजा लूँ तो क्या हो
ग़ज़ल/नज़्म - प्यार के ख्वाबों को दिल में सजा लूँ तो क्या हो
अनिल कुमार
"प्यासा"के गजल
Vijay kumar Pandey
जाने दिया
जाने दिया
Kunal Prashant
मेरी चाहत रही..
मेरी चाहत रही..
हिमांशु Kulshrestha
बढ़ना होगा
बढ़ना होगा
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
सवाल जवाब
सवाल जवाब
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हिन्दी में ग़ज़ल की औसत शक़्ल? +रमेशराज
हिन्दी में ग़ज़ल की औसत शक़्ल? +रमेशराज
कवि रमेशराज
प्रकाश एवं तिमिर
प्रकाश एवं तिमिर
Pt. Brajesh Kumar Nayak
नैन खोल मेरी हाल देख मैया
नैन खोल मेरी हाल देख मैया
Basant Bhagawan Roy
*झूला सावन मस्तियॉं, काले मेघ फुहार (कुंडलिया)*
*झूला सावन मस्तियॉं, काले मेघ फुहार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
तुम मेरे बाद भी
तुम मेरे बाद भी
Dr fauzia Naseem shad
बहुत दिनों के बाद मिले हैं हम दोनों
बहुत दिनों के बाद मिले हैं हम दोनों
Shweta Soni
कोई बात नहीं, अभी भी है बुरे
कोई बात नहीं, अभी भी है बुरे
gurudeenverma198
"New year की बधाई "
Yogendra Chaturwedi
हर बार मेरी ही किस्मत क्यो धोखा दे जाती हैं,
हर बार मेरी ही किस्मत क्यो धोखा दे जाती हैं,
Vishal babu (vishu)
धड़कूँगा फिर तो पत्थर में भी शायद
धड़कूँगा फिर तो पत्थर में भी शायद
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
"जून की शीतलता"
Dr Meenu Poonia
वक्त और हालात जब साथ नहीं देते हैं।
वक्त और हालात जब साथ नहीं देते हैं।
Manoj Mahato
Loading...