Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jun 2020 · 3 min read

प्रकृति से न करो खिलवाड़।

बहुत समय पहले की बात है।
जंगल के पास एक गाँव में दीनू अपने परिवार के साथ रहता था।
वह एवं अन्य ग्रामीण सूखी लकड़ियों को जंगल से लाकर शहर में बेचते थे और अपना जीवनयापन करते थे।
गाँव में खुशहाली छायी हुई थी।वहाँ प्रकृति की अनुपम छटा देखते ही बनती है। चारों ओर हरियाली,पहाड़ों के बीच से बहते हुए झरनें, पक्षियों की मधुर आवाज़ सब कुछ वहाँ रहने वालों के मन को आनन्दित करता था।
कहते हैं,”विनाशकाले विपरीत बुद्धि”
सहसा गाँव वालों में अत्यधिक पैसा कमाने की लालसा स्फुटित हो गयी और अपने स्वार्थ के वशीभूत उन्होंने जंगल से हरे भरे पेड़ की लकड़ियों को काटकर शहर में बेचना शुरू कर दिया। उस जंगल में वृक्ष पर एक दैत्य रहता था,जब ग्रामीणों ने वह वृक्ष भी काट दिया,तो दैत्य के क्रोथ की ज्वाला भड़क उठी और उसने गाँव जाकर लोगों को आतंकित करना प्रारम्भ कर दिया।
जो भी व्यक्ति अपने घर से बाहर निकलता,दैत्य उसको अपनी चपेट में ले लेता। धीरे धीरे कई ग्रामवासी उस दैत्य की चपेट में आ गए। ग्रामवासियों ने उसके डर से घर से बाहर निकलना बंद कर दिया।
धीरे धीरे घर में जमा राशन भी खत्म होने लगा। घर में अन्न की कमी और घर के बाहर उस दैत्य का खौफ़।
कहते है कि मुसीबत के समय सबको केवल भगवान का आसरा होता है। सबने अपने अपने तरीके से ईश्वर की पूजा अर्चना शुरू कर दी। दीनू भगवान का बहुत बड़ा भक्त था। वह गाँववालों की रक्षा और भगवान को प्रसन्न करने के लिये उपवास रखने लगा।
एक दिन भगवान ने उसको स्वप्न में दर्शन दिये। उनको साक्षात अपने सम्मुख देखकर, वह फूट फूट कर रोने लगा और गाँववालों को इस समस्या से निकालने की याचना की।
इस पर भगवान बोले कि गाँववालों ने प्रकृति के साथ अनावश्यक खिलबाड़ किया है। पक्षियों को इन वृक्षों पर आश्रय मिलता है, अपने स्वार्थ के लिए,गाँववालों ने इनका घरौंदा ही उजाड़ दिया। यदि सब मिलकर नए नए पेड़ लगाए, अपने आसपास का पर्यावरण स्वच्छ रखे,नदियों को साफ सुथरा रहने दें,तो उनके ऊपर कभी भी कोई भी विपदा नहीं आएगी और वह दैत्य भी जंगल में वापस चला जायेगा।
दीनू ने यह बातें गाँववालों को बताने का निश्चय किया परन्तु समस्या यह थी कि वह घर से बाहर कैसे निकले। उसको एक युक्ति सूझी,वह अपना पूरा मुँह ढककर घर से बाहर निकला। दैत्य सिर्फ मनुष्यों से क्रोधित था, उसने दीनू को कोई और प्राणी समझकर उस पर हमला नहीं किया।
दीनू ने बारी बारी से हर घर में जाकर अपने स्वप्न वाली घटना गाँववालों को बतायी और दैत्य से बचने के लिये मुँह ढककर निकलने को कहा।
सभी गाँववाले दीनू पर बहुत विश्वास करते थे,इसलिये उन्होंने भगवान के कथनानुसार नए वृक्ष लगाने प्रारंभ कर दिए।
कुछ ही महीनों में जंगल फिर से हरे भरे हो गए,और वह दैत्य भी जंगल वापस चला गया।
‘दिखाकर प्राकृतिक आपदा का रौद्ररूप,
समझा रही प्रकृति मानव को बारबार,
समय रहते न सुधरे हम इंसान अगर,
भावी पीढ़ी को सहनी पड़ेगी इसकी मार’।

सभी ग्रामवासियों को सबक मिल चुका था और वह पहले की तरह शांतिपूर्वक सादगीपूर्ण तरीके से अपना जीवनयापन करने लगे।
By:Dr Swati Gupta

Language: Hindi
4 Likes · 208 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैं हमेशा अकेली इसलिए रह  जाती हूँ
मैं हमेशा अकेली इसलिए रह जाती हूँ
Amrita Srivastava
शीर्षक -  आप और हम जीवन के सच
शीर्षक - आप और हम जीवन के सच
Neeraj Agarwal
माफ करना मैडम हमें,
माफ करना मैडम हमें,
Dr. Man Mohan Krishna
💐प्रेम कौतुक-187💐
💐प्रेम कौतुक-187💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
न्याय तो वो होता
न्याय तो वो होता
Mahender Singh
छोटी-सी बात यदि समझ में आ गयी,
छोटी-सी बात यदि समझ में आ गयी,
Buddha Prakash
प्यार करें भी तो किससे, हर जज़्बात में खलइश है।
प्यार करें भी तो किससे, हर जज़्बात में खलइश है।
manjula chauhan
मेरा नौकरी से निलंबन?
मेरा नौकरी से निलंबन?
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
*कोटि-कोटि हे जय गणपति हे, जय जय देव गणेश (गीतिका)*
*कोटि-कोटि हे जय गणपति हे, जय जय देव गणेश (गीतिका)*
Ravi Prakash
आओ न! बचपन की छुट्टी मनाएं
आओ न! बचपन की छुट्टी मनाएं
डॉ० रोहित कौशिक
गर जानना चाहते हो
गर जानना चाहते हो
SATPAL CHAUHAN
वो मूर्ति
वो मूर्ति
Kanchan Khanna
योगी है जरूरी
योगी है जरूरी
Tarang Shukla
संवेदना की आस
संवेदना की आस
Ritu Asooja
पिया मोर बालक बनाम मिथिला समाज।
पिया मोर बालक बनाम मिथिला समाज।
Acharya Rama Nand Mandal
यादों में
यादों में
Shweta Soni
कहमुकरी
कहमुकरी
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
2709.*पूर्णिका*
2709.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तुम होते हो नाराज़ तो,अब यह नहीं करेंगे
तुम होते हो नाराज़ तो,अब यह नहीं करेंगे
gurudeenverma198
एक तेरे चले जाने से कितनी
एक तेरे चले जाने से कितनी
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
दुखद अंत 🐘
दुखद अंत 🐘
Rajni kapoor
"ये बात बाद की है,
*Author प्रणय प्रभात*
आ जाते हैं जब कभी, उमड़ घुमड़ घन श्याम।
आ जाते हैं जब कभी, उमड़ घुमड़ घन श्याम।
surenderpal vaidya
बात बात में लड़ने लगे हैं _खून गर्म क्यों इतना है ।
बात बात में लड़ने लगे हैं _खून गर्म क्यों इतना है ।
Rajesh vyas
एक देश एक कानून
एक देश एक कानून
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
🦋 *आज की प्रेरणा🦋
🦋 *आज की प्रेरणा🦋
Tarun Singh Pawar
...
...
Ravi Yadav
🚩पिता
🚩पिता
Pt. Brajesh Kumar Nayak
कोशिश करना आगे बढ़ना
कोशिश करना आगे बढ़ना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तू  फितरत ए  शैतां से कुछ जुदा तो नहीं है
तू फितरत ए शैतां से कुछ जुदा तो नहीं है
Dr Tabassum Jahan
Loading...