***प्रकृति के खेल निराले***
बदला बदला मौसम बदला ,बदरा फिर से घिर आए।
रिमझिम रिमझिम बूंदे बरसी, लगता सावन ले आए ।
क्या से क्या यह कर डाले ,प्रकृति के खेल निराले ।।
समय के आगे चले न अपनी,समय बड़ा ही महाबली है।
जैसा यह करवाता जाए,वैसे ही दुनियां चली है।
वहम न मन में कोई पालें, प्रकृति के खेल निराले।।
दुख सुख देना हाथ इसी के, प्रकृति ना यारों वश में किसी के।
अंधियारा कर दे या कर दे उजाले, प्रकृति के खेल निराले।।
समय से समझौता कर लेना, दोष किसी को तुम मत देना।
अनुनय ईश्वर सबके रखवाले, प्रकृति के खेल निराले।।
राजेश व्यास अनुनय