प्यार टिकता है वफ़ा विश्वास के आधार पर
प्यार टिकता है वफ़ा विश्वास के आधार पर
मुस्कुराता आदमी है इसमें अपनी हार पर
बात उनके प्यार की दिल पर लिखी हैं इस तरह
श्वेत काले शब्द जैसे हो छपे अखबार पर
कामयाबी की नदी में मुश्किलों की भी भँवर
है भरोसा हौसलों की पर हमें पतवार पर
हैं कलम के पास माना शब्द के हथियार ही
पर नहीं आसान करना वार इसकी धार पर
आज कविता औरों की लिख लेते अपने नाम से
ये बिमारी बड़ रही , अब ध्यान दो उपचार पर
फ़र्ज़ भी अपने निभाने हैं ,यहाँ ये भूलकर
आदमी रखता नज़र है आज बस अधिकार पर
रूठ जाते हैं जरा सी बात पर हम ‘अर्चना’
मान भी जाते मगर फिर एक ही मनुहार पर
डॉ अर्चना गुप्ता