“”””प्यार के सैलाब में सब कुछ बह गया”””
प्यार के सैलाब में सब कुछ बह गया।
कल तक था साथ उनका,
आज अकेला रह गया।।
मेरा प्यार था तैयार ,तेरे संग जीने को।
मुझे मिल गया दौलतमंद,
मेरा हमसफ़र मुझसे कह गया।।
प्यार को मैंने पूजा माना,
दिल के मन्दिर की मूरत जाना ।।
गिरा पत्थर तेरी नफरत का,
मेरा शीशा ये दिल ढ़ ह गया।।
प्यार करने वाली पीढ़ी को,
खबरदार करने निकला हूं।
संभल कर बढ़ना इन राहों में,
मै फौलाद बन कर जख्म सह गया।।
दौलत से प्यार करने वाले ,
दिल तार- तार कर देते है।
अनुनय लगता है अब तो,
प्यार दौलत का नाम रह गया।।
राजेश व्यास अनुनय