प्यार की भाषा
तुम्हें लगता है मैं, इंग्लिश-हिंदी अच्छी बोलता हूँ ।
कुछ नही मैं वस अपनी जरूरत बोलता हूँ ।।
तुम खुश हो मेरी जुवान को, अपने झुण्ड से जोड़कर ।
मगर मैं तुम्हारे लिए नही, अपने लिए बोलता हूँ ।।
छोटी-बड़ी या बड़ी-छोटी जुवान का मसला ही नही ।
तुम्हें समझाने के लिए, मैं तुम्हारी जुवान बोलता हूँ ।।
गाँव-शहर, अनपढ़-पढ़ेलिखे के अल्फ़ाज़ नही ।
तुम्हारे दिल में जो उतरे, मैं वही भाषा बोलता हूँ ।।
उधेड़ बुन का झंझट नही ना तुम्हारी नाराजगी की परवाह ।
तुम्हें अच्छा लगे ना लगे, मैं गुलामी की भाषा नही बोलता हूँ ।।
ध्यान दो मेरी जरूरत पर, मेरी भाषा पर नही ।
पूरी करो मेरी जरूरत, मैं तुमसे जो बोलता हूँ ।।