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11 Jun 2021 · 1 min read

प्यार की ज्योत जलाकर

मुझे
इंसानों से प्यार है
उसे दुनियावी चीजों से
उसमें भटकाव है
मेरे में ठहराव
मैं दिल में
प्यार की ज्योत जलाकर
जीती हूं
वह दिल में
बुरी प्रवृत्तियों के जाल
मैं ठोकर खाकर जो
गिरती रहती हूं तो
मुझे कभी चोट नहीं लगती
वह अपने ही बुरे कर्मों की
एक चिंगारी भड़कने से
उसमें जलकर
राख हो जाता है।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
2 Likes · 313 Views
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