प्यारी साँझ
#प्यारी_साँझ
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साँझ रोज ही आती
हमें बताती
इस जीवन में कुछ भी चिरस्थायी नहीं
कभी सुख कभी दुख
निरंतर चलते रहेंगें
हम रंगमंच कर्मी हैं
नये किरदार मिलते रहेंगे
निभाते जाना
यहीं हमारा काम है
हर सुबह के बाद दोपहर
फिर एक प्यारी शाम है
घबड़ाना नहीं दोस्तो
सुख टीकता नहीं,
दुख टल जाता है
मिट्टी का यह पुतला
मिट्टी में ही गल जाता है।
शुभ साँझ दोस्तों
सबको राम राम, राधे राधे।।
पं.संजीव शुक्ल “सचिन”