Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 May 2021 · 9 min read

प्यार(इश्क)-भाग एक

बस में मेरे सामने की सीट पर बैठी लड़की ने मुझसे पूछा ” हैलो, क्या आपके पास इस मोबाइल की सिम निकालने की पिन है??”
उसने अपने बैग से एक फोन निकाला, वह नया सिम कार्ड उसमें डालना चाहती थी। लेकिन सिम स्लॉट खोलने के लिए पिन की जरूरत पड़ती है, जो उसके पास नहीं थी। मैंने हाँ में गर्दन हिलाई और अपने क्रॉस बैग से पिन निकालकर लड़की को दे दी। लड़की ने थैंक्स कहते हुए पिन ले ली और सिम डालकर पिन मुझे वापिस कर दी।

थोड़ी देर बाद वो फिर से इधर उधर ताकने लगी, मुझसे रहा नहीं गया.. मैंने पूछ लिया “कोई परेशानी??”

वो बोली सिम स्टार्ट नहीं हो रही है, मैंने मोबाइल मांगा, उसने दिया। मैंने उसे कहा कि सिम अभी एक्टिवेट नहीं हुई है, थोड़ी देर में हो जाएगी। एक्टिव होने के बाद आईडी वेरिफिकेशन होगा, उसके बाद आप इसे इस्तेमाल कर सकेंगी।

लड़की ने पूछा, आईडी वेरिफिकेशन क्यों??

मैंने कहा ” आजकल सिम वेरिफिकेशन के बाद एक्टिव होती है, जिस नाम से ये सिम उठाई गई है, उसका ब्यौरा पूछा जाएगा बता देना”
लड़की बुदबुदाई “ओह्ह ”
मैंने दिलासा देते हुए कहा “इसमें कोई परेशानी की कोई बात नहीं”

वो अपने एक हाथ से दूसरा हाथ दबाती रही, मानो किसी परेशानी में हो। मैंने फिर विन्रमता से कहा “आपको कहीं कॉल करना हो तो मेरा मोबाइल इस्तेमाल कर लीजिए”

लड़की ने कहा “जी फिलहाल नहीं, थैंक्स, लेकिन ये सिम किस नाम से खरीदी गई है मुझे नहीं पता”
मैंने कहा “एक बार एक्टिव होने दीजिए, जिसने आपको सिम दी है उसी के नाम की होगी”
उसने कहा “ओके, कोशिश करते हैं”
मैंने पूछा “आपका स्टेशन कहाँ है??”

लड़की ने कहा “जालोर”
और आप?? लड़की ने मुझसे पूछा

मैंने कहा “मै जालोर ही जा रहा हूँ, एक दिन का काम है,
आप जालोर में रहती हैं या…?”

लड़की बोली “नहीं नहीं, जालोर में कोई काम की वजह से जा रही हूं , ना ही मेरा घर है वहाँ”
तो ???? मैंने उत्सुकता वश पूछा

वो बोली “दरअसल ये दूसरी बस है, जिसमें आज मैं हूँ, और जालोर से तीसरी बस पकड़नी है, फिर हमेशा के लिए आज़ाद”
आज़ाद??
लेकिन किस तरह की कैद से??
मुझे फिर जिज्ञासा हुई किस कैद में थी ये कमसिन अल्हड़ सी लड़की..

लड़की बोली, उसी कैद में थी, जिसमें हर लड़की होती है। जहाँ घरवाले कहे शादी कर लो, जब जैसा कहे, वैसा करो। मैं घर से भाग चुकी हूं..

मुझे ताज्जुब हुआ, मगर अपने ताज्जुब को छुपाते हुए मैंने हंसते हुए पूछा “अकेली भाग रही हैं आप? आपके साथ कोई नजर नहीं आ रहा? ”

वो बोली “अकेली नहीं, साथ में है कोई”
कौन? मेरे प्रश्न खत्म नहीं हो रहे थे

जालोर से एक और बस पकड़ूँगी, फिर अगले स्टेशन पर वो जनाब मिलेंगे, और उसके बाद हम किसी को नहीं मिलेंगे..
ओह्ह, तो ये प्यार का मामला है।
उसने कहा “जी”

मैंने उसे बताया कि ‘मैं एक लड़की से प्यार करता हूँ।’
ये बात सुनकर वो खुश हुई, बोली “वाओ, कैसे कब?” प्यार की बात सुनकर वो मुझसे बात करने में रुचि लेने लगी

मैंने कहा “कब कैसे कहाँ? वो मैं बाद में बताऊंगा, पहले आप बताओ आपके घर में कौन कौन है?

उसने होशियारी बरतते हुए कहा ” वो मैं आपको क्यों बताऊं? मेरे घर में कोई भी हो सकता है, मेरे पापा माँ भाई बहन, या हो सकता है भाई ना हो सिर्फ बहनें हो, या ये भी हो सकता है कि बहने ना हो और 2-4 गुस्सा करने वाले बड़े भाई हो”

मतलब मैं आपका नाम भी नहीं पूछ सकता “मैंने काउंटर मारा”
वो बोली, ‘कुछ भी नाम हो सकता है मेरा, टीना, मीना, रीना, कुछ भी’

बहुत बातूनी लड़की थी वो.. थोड़ी इधर उधर की बातें करने के बाद उसने मुझे टॉफी दी जैसे छोटे बच्चे देते हैं क्लास में,
बोली आज मेरा बर्थडे है।

मैंने उसकी हथेली से टॉफी उठाते बधाई दी और पूछा “कितने साल की हुई हो?”
वो बोली “18”

“मतलब भागकर शादी करने की कानूनी उम्र हो गई आपकी”
वो “हंसी”

कुछ ही देर में काफी फ्रैंक हो चुके थे हम दोनों, जैसे बहुत पहले से जानते हो एक दूसरे को..

मैंने उसे बताया कि “मेरी उम्र 20 साल है, यानि 2 साल बड़ा हूं”

उसने चुटकी लेते हुए कहा “लग तो नहीं रहे हो”
मैं मुस्कुरा दिया
मैंने उससे पूछा “तुम घर से भागकर आई हो, तुम्हारे चेहरे पर चिंता के निशान जरा भी नहीं है, इतनी बेफिक्री मैंने पहली बार देखी”

खुद की तारीफ सूनकर वो खुश हुई, बोली “मुझे उन जनाब ने, मेरे लवर ने पहले से ही समझा दिया था कि जब घर से निकलो तो बिल्कुल बिंदास रहना, घरवालों के बारे में बिल्कुल मत सोचना, बिल्कुल अपना मूड खराब मत करना, सिर्फ मेरे और हम दोनों के बारे में सोचना और मैं वही कर रही हूँ”

मैंने फिर चुटकी ली, कहा “उसने तुम्हें मुझ जैसे अनजान मुसाफिरों से दूर रहने की सलाह नहीं दी?”
उसने हंसकर जवाब दिया “नहीं, शायद वो भूल गया होगा ये बताना”

मैंने उसके प्रेमी की तारीफ करते हुए कहा ” वैसे तुम्हारा बॉय फ्रेंड काफी टैलेंटेड है, उसने किस तरह से तुम्हे अकेले घर से रवाना किया, नई सिम और मोबाइल दिया, तीन बस बदलवाई.. ताकि कोई ट्रेक ना कर सके, वेरी टैलेंटेड पर्सन”

लड़की ने हामी भरी, ” बोली बहुत टैलेंटेड है वो, उसके जैसा कोई नहीं”
मैंने उसे बताया कि “मै तीन साल प्यार करता हूँ।।

मैंने कहा “काफी टेक्निकल मामलों से गुजरकर एक लंबे समय के बाद रख सकते हैं, उस वक्त ये मुमकिन नहीं था.. मुझे दोनों में से एक को चुनना था, आलीशान रहन सहन के साथ नौकरी या परिवार..

लड़की ने कहा “वेरी इम्प्रेसिव”
मैं मुस्कुराकर खिड़की की तरफ देखने लगा

लड़की ने पूछा “अच्छा आपने अभी तक शादी नही की न, फिर आप भागकर कहाँ गए??
कैसे रहे और कैसे गुजरा वो वक्त??

उसके हर सवाल और हर बात में मुझे महसूस हो रहा था कि ये लड़की लकड़पन के शिखर पर है, बिल्कुल नासमझ और मासूम छोटी बहन सी।
मैंने उसे बताया कि हमने भागकर शादी नहीं की, और ये भी है कि उसके पापा ने मुझे पहली नजर में सख्ती से रिजेक्ट कर दिया था।”

उन्होंने आपको रिजेक्ट क्यों किया?? लड़की ने पूछा

मैंने कहा “रिजेक्ट करने का कुछ भी कारण हो सकता है, मेरी जाति, मेरा काम,,घर परिवार,
“बिल्कुल सही”, लड़की ने सहमति दर्ज कराई और आगे पूछा “फिर आपने क्या किया?”

मैंने कहा “मैंने कुछ नहीं किया,उसके पिता ने रिजेक्ट कर दिया वहीं से मैंने अपने बारे में अलग से सोचना शुरू कर दिया था।
मैं मानता हूँ कि लड़का लड़की को तौलने का ये दोहरा मापदंड गलत है, लेकिन हमारे समाज में है तो यही , ये नजरिया गलत है, मगर सामाजिक नजरिया यही है,

वो अपने नीचे का होंठ दांतों तले पीसने लगी, उसने पानी की बोतल का ढक्कन खोलकर एक घूंट पिया।

मैंने कहा अगर मैं उस दिन उसे भगा ले जाता तो उसकी माँ तो शायद कई दिनों तक पानी भी ना पीती, इसलिए मेरी हिम्मत ना हुई कि ऐसा काम करूँ.. मैं जिससे प्रेम करूँ, उसके माँ बाप मेरे माँ बाप के समान ही है, चाहे शादी ना हो, तो ना हो।

कुछ पल के लिए वो सोच में पड़ गई , लेकिन मेरे बारे में और अधिक जानना चाहती थी,

डिमांड मतलब ‘लड़की ने पूछा’

डिमांड का एक ही मतलब होता है, दहेज की डिमांड। परिवार में सबको सोने से बने तोहफे दो, दूल्हे को लग्जरी कार चाहिए, सास और ननद को नेकलेस दो वगैरह वगैरह, बोले हमारे यहाँ रीत है। लड़का भी इस रीत की अदायगी का पक्षधर था। वो सगाई मैंने तुड़वा डाली..इसलिए नहीं की सिर्फ मेरी शादी उससे हो जाये, बल्कि ऐसे लालची लोगों में खुशबू कभी खुश नहीं रह सकती थी । ना उसका परिवार, फिर किसी तरह घरवालों को समझा बुझा कर मैं फ्रंट पर आ गया
लड़की बोली “चलो अच्छा हुआ आप मिल गए, वरना वो गलत लोगों में फंस जाती”

मैंने कहा “जरूरी नहीं कि माता पिता का फैसला हमेशा सही हो, और ये भी जरूरी नहीं कि प्रेमी जोड़े की पसन्द सही हो.. दोनों में से कोई भी गलत या सही हो सकता है..काम की बात यहाँ ये है कि कौन ज्यादा वफादार है।”

लड़की ने फिर से पानी का घूंट लिया और मैंने भी.. लड़की ने तर्क दिया कि “हमारा फैसला गलत हो जाए तो कोई बात नहीं, उन्हें ग्लानि नहीं होनी चाहिए”

मैंने कहा “फैसला ऐसा हो जो दोनों का हो, बच्चों और माता पिता दोनों की सहमति, वो सबसे सही है। बुरा मत मानना मैं कहना चाहूंगा कि तुम्हारा फैसला तुम दोनों का है, जिसमे तुम्हारे पेरेंट्स शामिल नहीं है, ना ही तुम्हें इश्क का असली मतलब पता है अभी”

उसने पूछा “क्या है इश्क़ का सही अर्थ?”

मैंने कहा “तुम इश्क में हो, तुम अपना सबकुछ छोड़कर चली आई ये सच्चा इश्क़ है, तुमने दिमाग पर जोर नहीं दिया ये इश्क है, फायदा नुकसान नहीं सोचा ये इश्क है…तुम्हारा दिमाग़ दुनियादारी के फितूर से बिल्कुल खाली था, उस खाली जगह में इश्क का फितूर भर दिया गया। जिन जनाब ने इश्क को भरा क्या वो इश्क में नहीं है.. यानि तुम जिसके साथ जा रही हो वो इश्क में नहीं, बल्कि होशियारी हीरोगिरी में है। जो इश्क में होता है वो इतनी प्लानिंग नहीं कर पाता है, तीन बसे नहीं बदलवा पाता है, उसका दिमाग इतना काम ही नहीं कर पाता.. कोई कहे मैं आशिक हुँ, और वो शातिर भी हो ये नामुमकिन है।मजनूं इश्क में पागल हो गया था, लोग पत्थर मारते थे उसे, इश्क में उसकी पहचान तक मिट गई। उसे दुनिया मजनूं के नाम से जानती है, जबकि उसका असली नाम कैस था, जो नहीं इस्तेमाल किया जाता। वो शातिर होता तो कैस से मजनूं ना बन पाता। फरहाद ने शीरीं के लिए पहाड़ों को खोदकर नहर निकाल डाली थी और उसी नहर में उसका लहू बहा था, वो इश्क़ था। इश्क़ में कोई फकीर हो गया, कोई जोगी हो गया, किसी मांझी ने पहाड़ तोड़कर रास्ता निकाल लिया..किसी ने अतिरिक्त दिमाग़ नहीं लगाया..चालाकी नहीं की ।
लालच ,हवस और हासिल करने का नाम इश्क़ नहीं है.. इश्क समर्पण करने को कहते हैं, जिसमें इंसान सबसे पहले खुद का समर्पण करता है, जैसे तुमने किया, लेकिन तुम्हारा समर्पण हासिल करने के लिए था, यानि तुम्हारे इश्क में लालच की मिलावट हो गई

लकड़ी अचानक खो सी गई.. उसकी खिलख़िलाहट और खिलंदड़ापन एकदम से खमोशी में बदल गया.. मुझे लगा मैं कुछ ज्यादा बोल गया, फिर भी मैंने जारी रखा, मैंने कहा ” प्यार तुम्हारे पापा तुमसे करते हैं, कुछ दिनों बाद उनका वजन आधा हो जाएगा, तुम्हारी माँ कई दिनों तक खाना नहीं खाएगी ना पानी पियेगी.. जबकि आपको अपने आशिक को आजमा कर देख लेना था, ना तो उसकी सेहत पर फर्क पड़ता, ना दिमाग़ पर, वो अक्लमंद है, अपने लिए अच्छा सोच लेता।
आजकल गली मोहल्ले के हर तीसरे लौंडे लपाटे को जो इश्क हो जाता है, वो इश्क नहीं है, वो सिनेमा जैसा कुछ है। एक तरह की स्टंटबाजी, डेरिंग, अलग कुछ करने का फितूर..और कुछ नहीं।

लड़की का चेहरे का रंग बदल गया, ऐसा लग रहा था वो अब यहाँ नहीं है, उसका दिमाग़ किसी अतीत में टहलने निकल गया है। मैं अपने फोन को स्क्रॉल करने लगा.. लेकिन मन की इंद्री उसकी तरफ थी।

थोड़ी ही देर में उसका और मेरा स्टेशन यानी जालोर आ गया.. बात कहाँ से निकली थी और कहाँ पहुँच गई.. उसके मोबाइल पर मैसेज टोन बजी, देखा, सिम एक्टिवेट हो चुकी थी.. उसने चुपचाप बैग में से आगे का टिकट निकाला और फाड़ दिया.. मुझे कहा एक कॉल करना है, मैंने मोबाइल दिया.. उसने नम्बर डायल करके कहा “सोरी पापा, और सिसक सिसक कर रोने लगी, सामने से पिता भी फोन पर बेटी को संभालने की कोशिश करने लगे.. उसने कहा पिताजी आप बिल्कुल चिंता मत कीजिए मैं घर आ रही हूँ..दोनों तरफ से भावनाओं का सागर उमड़ पड़ा”

हम बस से उतरे, उसने फिर से पिन मांगी, मैंने पिन दी.. उसने मोबाइल से सिम निकालकर तोड़ दी और पिन मुझे वापस कर दिया

कहानी को अंत तक पढ़ने का धन्यवाद।
देश की सभी बहिनों को समर्पित-
ये मेरा दावा है माता पिता से ज्यादा तुम्हें दुनिया मे कोई प्यार नहीं करता।
कहानी पढ़कर, शेयर अवश्य कीजिएगा, शायद कोई परिवार, कोई बेटी और उनका भविष्य इससे बच जाए ?

शंकर आँजणा नवापुरा धवेचा
बागोड़ा जालोर-343032
कक्षा स्नातक तृतीय वर्ष

Language: Hindi
1 Like · 506 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तुम्हे नया सा अगर कुछ मिल जाए
तुम्हे नया सा अगर कुछ मिल जाए
सिद्धार्थ गोरखपुरी
प्रेम ...
प्रेम ...
sushil sarna
प्यार के लिए संघर्ष
प्यार के लिए संघर्ष
Shekhar Chandra Mitra
कोई आदत नहीं
कोई आदत नहीं
Dr fauzia Naseem shad
*आ गई है  खबर  बिछड़े यार की*
*आ गई है खबर बिछड़े यार की*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
डॉ. राकेशगुप्त की साधारणीकरण सम्बन्धी मान्यताओं के आलोक में आत्मीयकरण
डॉ. राकेशगुप्त की साधारणीकरण सम्बन्धी मान्यताओं के आलोक में आत्मीयकरण
कवि रमेशराज
२०२३
२०२३
Neelam Sharma
Destiny
Destiny
Sukoon
धर्म और विडम्बना
धर्म और विडम्बना
Mahender Singh
यदि मन में हो संकल्प अडिग
यदि मन में हो संकल्प अडिग
महेश चन्द्र त्रिपाठी
और भी शौक है लेकिन, इश्क तुम नहीं करो
और भी शौक है लेकिन, इश्क तुम नहीं करो
gurudeenverma198
वो खूबसूरत है
वो खूबसूरत है
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
मैथिली हाइकु / Maithili Haiku
मैथिली हाइकु / Maithili Haiku
Binit Thakur (विनीत ठाकुर)
सेंगोल और संसद
सेंगोल और संसद
Damini Narayan Singh
उड़ते हुए आँचल से दिखती हुई तेरी कमर को छुपाना चाहता हूं
उड़ते हुए आँचल से दिखती हुई तेरी कमर को छुपाना चाहता हूं
Vishal babu (vishu)
#कटाक्ष
#कटाक्ष
*Author प्रणय प्रभात*
कभी जब नैन  मतवारे  किसी से चार होते हैं
कभी जब नैन मतवारे किसी से चार होते हैं
Dr Archana Gupta
मेरे दिल मे रहा जुबान पर आया नहीं....,
मेरे दिल मे रहा जुबान पर आया नहीं....,
कवि दीपक बवेजा
विनम्रता
विनम्रता
Bodhisatva kastooriya
लोगों की फितरत का क्या कहें जनाब यहां तो,
लोगों की फितरत का क्या कहें जनाब यहां तो,
Yogendra Chaturwedi
दुमका संस्मरण 2 ( सिनेमा हॉल )
दुमका संस्मरण 2 ( सिनेमा हॉल )
DrLakshman Jha Parimal
मनुष्य प्रवृत्ति
मनुष्य प्रवृत्ति
विजय कुमार अग्रवाल
*** रेत समंदर के....!!! ***
*** रेत समंदर के....!!! ***
VEDANTA PATEL
* वर्षा ऋतु *
* वर्षा ऋतु *
surenderpal vaidya
वैर भाव  नहीं  रखिये कभी
वैर भाव नहीं रखिये कभी
Paras Nath Jha
आगाज़-ए-नववर्ष
आगाज़-ए-नववर्ष
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
💐Prodigy Love-34💐
💐Prodigy Love-34💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Har Ghar Tiranga : Har Man Tiranga
Har Ghar Tiranga : Har Man Tiranga
Tushar Jagawat
जीवन का एक और बसंत
जीवन का एक और बसंत
नवीन जोशी 'नवल'
ख़ामोशी से बातें करते है ।
ख़ामोशी से बातें करते है ।
Buddha Prakash
Loading...