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9 Feb 2018 · 1 min read

पैसे

पैसो की कारीगरी देखी हमने,
रिस्तो को बनते बिगड़ते देखा हमने।
भटकते हुए उन युवाओ को,
डिग्री के बोझ से डगमगाते देखा हमने।
किस्मत को न मानने वालो को भी,
किस्मत को मानते देखा हमने।
समय ने न जाने कितनो को,
अपना गुलाम बना डाला।
समय का नाम ले,
हस्ते रट देखा हमने।

Language: Hindi
180 Views
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