एक पेड़ का भावपूर्ण ख़त .. (कविता)
मेरे बगीचे का पेड़ ,
यूँ तो खामोश खड़ा रहता है .
जाने क्यों मुझे उसकी ख़ामोशी में .
कोई राज़ छुपा लगता है.
लिपट कर उससे उसका ,
मैने राज़ कोई जानना चाहा .
क्या कहना चाहता है यह
अनुमान लगाना चाहा .
बेजान से उस पेड़ में ,
अचानक जान आ गयी .
जो ख़ामोशी उसके दिल में दबी हुई थी ,
वोह सहसा जुबान पे आ गयी .
अचानक एक तेज़ हवा के झौंके से ,
एक नन्हा सा पत्ता ,
उस पेड़ से गिरता है.
मैने भी तभी जाना कैसे,
कोई पेड़ हवा में पत्ते लिखता है ?,
पत्तों में अपनी दास्ताँ लिखता है ,
दास्ताँ में अपना हाल ऐ-दिल बयां करता है.
उस पत्ते नुमा ख़त से मैने जाना
मेरा प्यारा पेड़ क्या कहना चाहता है ?
उसका सार यहाँ स्पष्ट होता है.
” शुक्रिया मेरे दोस्त !
तुम्हारे प्यार के लिए ,
तुम्हारे दुलार के लिए ,
भला तुम्हारे जैसा हमदर्द ,
ज़माने में कहीं मिलता है !”