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26 Dec 2019 · 1 min read

तरु के दोहे

पेड़ कहे लकड़हार से तू क्यों काटे मोए
एक दिन ऎसा आएगा मे जलाऊंगा तोए ।।

मत लगाओ रे मेरे भैया, मन को कछु ना होए
ऎसो तो मत करो रे भैया, जासे हानि होए ।।

काटे से कछु मिले न भैया, न कोई राजा होए
लगाए से सुख मिलता रे भैया, हवा शुद्ध सब होए।।

पेड़ है बेबस हारा ज्यो लागे त्यो मोड़
बो भी इंसान है भैया काहे की ये होड़ ।।

आवत पीढ़ी ” शिवी ” नव नित हो जाए
दिल से लगाओ रे मेरे भैया पेड़ो की जा माए ।।

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 371 Views
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