( पूर्व विदेश मंत्री स्व श्रीमती सुषमा स्वराज जी की याद में एक कविता ) हमारी सुषमा
दुश्मनो का काल थी,
देश की ढाल थी ,
हमारी सुषमा। …..
सूर्य समान तेजस्वी भाल ,
गौरवांतित मुख मंडल ,
वाणी में बादलों सी गर्जना लिए ,
जब कभी दुश्मनो के सामने दहाड़ती थी ,
हमारी सुषमा। ……
स्वदेश के अपने संस्कृति /सभ्यता को समेटे ,
जीवन में उच्च आदर्शों /संस्कारों को लपेटे ,
विदेशों में स्वदेश का गौरव बढ़ाती ,
देश भक्ति की अनूठी मिसाल थी हमारी सुषमा। …….
कभी लक्ष्मी का रूप लिए ,
कभी दुर्गा का रूप लिए ,
और कभी माँ शारदे का रूप लिए ,
सर्वगुण संपन्न ,ममतामयी महान नारी थी हमारी सुषमा। …..
नारी सशक्तीकरण का साक्षात् प्रमाण देती ,
सादगी और उच्च विचारों का सन्देश देती ,
भारतीय नारिओं की प्रेरणा स्त्रोत थी हमारी सुषमा। ……