Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Aug 2021 · 2 min read

पूर्णता की प्रतिक्षा न करें, बस शुरू कर दें – आनंदश्री

पूर्णता की प्रतिक्षा न करें, बस शुरू कर दें – आनंदश्री

सपने सब देखते। पूर्ण होना किसे नही पसंद। लेकिन सपनो को पूरा करने के लिए पूर्ण होना जरूरी नही बल्कि, शुरुआत करना जरुरी ।

-समय लगता है, बस शुरुवात करें
अक्सर, जब हमारे कुछ लक्ष्य होते हैं, तो हम इसे एक धमाके के साथ शुरू करना चाहते हैं। हम रातोंरात स्टार बनना चाहते हैं। हम जल्द से जल्द सर्वश्रेष्ठ हासिल करना चाहते हैं। लेकिन चीजों में समय लगता है। यह समय के साथ बेहतर होता जाता है, लेकिन कुंजी जल्द से जल्द शुरू करना है।

– ओह, मैने भी ऐसा सोचा था
क्या आपके मन मे ऐसा विचार आया है कभी। जब हम कोई नई वस्तु, अविष्कार देखते है तो कभी तो ऐसा हुआ होगा ” अरे, ये विचार एक बार मुझे आया था लेकिन … ”
विचार आपको भी आया था, आयडिया आपको भी आया था लेकिन एक कमी रह गयी वह थी ” शुरूवात ” की।

– परफेस्ट जैसी कोई चीज नही है
जैसे डर जैसी कोई चीज नही होती वैसे ही परफेक्ट जैसे कोई चीज नही।

ही सकता है आओबे कभी ब्लैक एंड वाईट टिवी खरीदा होगा, नोकिया मोबाईल खरीदा होगा, स्टोव खरीदा होगा। यह सब आज कंहा है । परफेक्ट कोई नही। यह सिर्फ समय कालीन है।

जब मैंने पहले यूट्यूब चैनल पर वीडियो बनाया था तो वह बस ऐसे ही था। लेकिन धीरे धीरे उसमे इम्प्रोव हुआ और सारी व्यवस्था के साथ हम वीडियो बनाते है। अगर उस समय हम आज जैसी सुविधा का इंतजार किये होते तो हमारा यूट्यूब चैनल कभी नही बनता।

– शुरुआत कर दो , बस।
आपको शुरुआत करना है। अपने सपनो को पूरा करने के लिए बस स्टार्ट करना है। आज से शुरुआत कर दो। परफेक्शनिस्ट का इंतजार में समय न घलाये। बस शुरुआत करो ….

प्रो डॉ दिनेश गुप्ता- आनंदश्री
आध्यात्मिक व्याख्याता एवं माइन्डसेट गुरु
मुंबई
8007179747

Language: Hindi
Tag: लेख
265 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सब अनहद है
सब अनहद है
Satish Srijan
यह तुम्हारी गलत सोच है
यह तुम्हारी गलत सोच है
gurudeenverma198
पिता
पिता
Manu Vashistha
यादों का बसेरा है
यादों का बसेरा है
Shriyansh Gupta
एक परोपकारी साहूकार: ‘ संत तुकाराम ’
एक परोपकारी साहूकार: ‘ संत तुकाराम ’
कवि रमेशराज
जिस्मानी इश्क
जिस्मानी इश्क
Sanjay ' शून्य'
अभिनेता वह है जो अपने अभिनय से समाज में सकारात्मक प्रभाव छोड
अभिनेता वह है जो अपने अभिनय से समाज में सकारात्मक प्रभाव छोड
Rj Anand Prajapati
Tum makhmal me palte ho ,
Tum makhmal me palte ho ,
Sakshi Tripathi
देशभक्त
देशभक्त
Shekhar Chandra Mitra
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Tarun Singh Pawar
बेटा बेटी का विचार
बेटा बेटी का विचार
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
*भीड बहुत है लोग नहीं दिखते* ( 11 of 25 )
*भीड बहुत है लोग नहीं दिखते* ( 11 of 25 )
Kshma Urmila
लोग आते हैं दिल के अंदर मसीहा बनकर
लोग आते हैं दिल के अंदर मसीहा बनकर
कवि दीपक बवेजा
हयात कैसे कैसे गुल खिला गई
हयात कैसे कैसे गुल खिला गई
Shivkumar Bilagrami
आपसे गुफ्तगू ज़रूरी है
आपसे गुफ्तगू ज़रूरी है
Surinder blackpen
जाने दिया
जाने दिया
Kunal Prashant
फागुन
फागुन
पंकज कुमार कर्ण
जगतगुरु स्वामी रामानंदाचार्य
जगतगुरु स्वामी रामानंदाचार्य
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ईश्वर से सुख-समृद्धि नहीं
ईश्वर से सुख-समृद्धि नहीं
*Author प्रणय प्रभात*
मुझे भी बतला दो कोई जरा लकीरों को पढ़ने वालों
मुझे भी बतला दो कोई जरा लकीरों को पढ़ने वालों
VINOD CHAUHAN
एक सबक इश्क का होना
एक सबक इश्क का होना
AMRESH KUMAR VERMA
सूर्य देव की अरुणिम आभा से दिव्य आलोकित है!
सूर्य देव की अरुणिम आभा से दिव्य आलोकित है!
Bodhisatva kastooriya
आशिकी
आशिकी
साहिल
बचपन
बचपन
नूरफातिमा खातून नूरी
बरपा बारिश का कहर, फसल खड़ी तैयार।
बरपा बारिश का कहर, फसल खड़ी तैयार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
अपनों की ठांव .....
अपनों की ठांव .....
Awadhesh Kumar Singh
गुस्सा करते–करते हम सैचुरेटेड हो जाते हैं, और, हम वाजिब गुस्
गुस्सा करते–करते हम सैचुरेटेड हो जाते हैं, और, हम वाजिब गुस्
Dr MusafiR BaithA
कुंडलिया
कुंडलिया
sushil sarna
मातृभूमि
मातृभूमि
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मैं अक्सर उसके सामने बैठ कर उसे अपने एहसास बताता था लेकिन ना
मैं अक्सर उसके सामने बैठ कर उसे अपने एहसास बताता था लेकिन ना
पूर्वार्थ
Loading...