Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Oct 2021 · 2 min read

पुस्तक मेला

हर्ष को पुस्तकें पढ़ना बहुत पसंद है,
वह अपनी जरूरत के हिसाब से पुस्तक के चयन करने में परख रखता है,
अपने माता पिता, दोस्त , सगे संबंधी, भाईयों से अक्सर वार्तालाप में अपनी रुचिकर बातें निकाल कर अपने शौक को ऊर्जा देते रहता है,
अखबार आजकल उसके लिए सही स्त्रोत नहीं है.
ऐसा उसकी बातों से झलकता है.
कहानी का पात्र मेरा पुत्र है,
पापा जी
न केवल मैने, ये कथन सिर्फ़ पढ़ा है.
देखकर तथ्य पक्का हो जाता है कि :-
पहले अखबार छपकर बिकते थे.
आजकल बिक कर छपते हैं !!!

मुझे लगा यह बात अनुभव से नहीं पढ़कर ही बोल रहा होगा, तभी मैंने एक प्रश्न दागा.
अच्छा ये बताओ,
तथाकथित धर्म के बारे में आप क्या जानते हो,
और आप किस धर्म को श्रेष्ठ मानते हो.

उसका जवाब सुनकर मैं भौचक्का रह गया,
उसने कहा तथाकथित धर्मों जैसा कुछ नहीं है.
श्रेष्ठता तो स्वयं में एक बिमारी हैं.
मैं प्रकृति एवं निसर्ग को जानने की चेष्टा करता हूँ.
फिर चाहे, वह मन की प्रकृति स्वभाव का सवाल हो.
या जीव-जन्तुओं की प्रकृति और स्वभाव हो.

मेरा उससे अगला सवाल था,
इस तरह की जानकारी कहाँ से जुटाते हो,
और इससे संबंधित पुस्तकें आपको कहां से मिलती है.
उसका जवाब था,
मनुष्य में तर्क-वितर्क की कला हो, रहस्य को खोजने की भूख, हमेशा विज्ञान की तरफ ले जायेगी,
अन्यथा आप धार्मिक स्थलों की यात्राओं में व्यर्थ ही निवेश करते नजर आयेंगे,
यह सिर्फ़ आपसी सहमति एवं सामंजस्य स्थापित करने की एक कड़ी मात्र है.

मैंने कहा चलो छोड़ो. ये बताओ, विज्ञान और धार्मिक कथनानुसार मनुष्य के विकास में बढ़ा योगदान मानते हो, और इस तरह वाली पुस्तकें कहाँ से प्राप्त करते हो,
हर्ष ने स्पष्ट जवाब दिया,
बेशक वैज्ञानिक मत के आधार को तव्वजो देता हूँ.
और पुस्तकालय मेरी प्राथमिकता,
और पुस्तक मेले मेरे लिए श्रेष्ठ भ्रमण स्थान.
बाबा साहब भीमराव रामजी अंबेडकर मेरे प्ररेणा श्रोत्र
जिंहोने अपना संपूर्ण जीवन वंचितों के ऊपर न्यौछावर कर दिया,
उनके निर्णय लेने की क्षमता,
हक की लडाई लडने का अंदाज़ विरोधियों को भी अपना बना लेती है,
हर पल एक नई ऊर्जा से ओतप्रोत शक्सियत,
मानो विश्व में एक विशिष्ट प्रकाश फैलाने के लिए जन्मे हो,

पुस्तक मेले जीवन के विभिन्न आयामों सोपानों पर मिलने वाली पुस्तकों का एकमात्र स्थान.
जहां पर विभिन्न प्रकाशक आपको सुने अनसुने कवि/लेखक/उपन्यासकार/रहस्यदर्शी/दार्शनिक/जीवनदर्शन को एक मंच पर लाने का आयोजन है.

डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस

4 Likes · 8 Comments · 370 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
2326.पूर्णिका
2326.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
#drarunkumarshastriblogger
#drarunkumarshastriblogger
DR ARUN KUMAR SHASTRI
दुनिया असाधारण लोगो को पलको पर बिठाती है
दुनिया असाधारण लोगो को पलको पर बिठाती है
ruby kumari
मौसम बेईमान है – प्रेम रस
मौसम बेईमान है – प्रेम रस
Amit Pathak
नैनों में प्रिय तुम बसे....
नैनों में प्रिय तुम बसे....
डॉ.सीमा अग्रवाल
बुढ़ाते बालों के पक्ष में / MUSAFIR BAITHA
बुढ़ाते बालों के पक्ष में / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
एक समझदार मां रोते हुए बच्चे को चुप करवाने के लिए प्रकृति के
एक समझदार मां रोते हुए बच्चे को चुप करवाने के लिए प्रकृति के
Dheerja Sharma
देश गान
देश गान
Prakash Chandra
लाल रंग मेरे खून का,तेरे वंश में बहता है
लाल रंग मेरे खून का,तेरे वंश में बहता है
Pramila sultan
*मेरे मम्मी पापा*
*मेरे मम्मी पापा*
Dushyant Kumar
Needs keep people together.
Needs keep people together.
सिद्धार्थ गोरखपुरी
रास्ते और राह ही तो होते है
रास्ते और राह ही तो होते है
Neeraj Agarwal
जनक देश है महान
जनक देश है महान
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
यह क्या अजीब ही घोटाला है,
यह क्या अजीब ही घोटाला है,
नव लेखिका
"अपने ही इस देश में,
*Author प्रणय प्रभात*
जो बीत गया उसके बारे में सोचा नहीं करते।
जो बीत गया उसके बारे में सोचा नहीं करते।
Slok maurya "umang"
मातृ दिवस
मातृ दिवस
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"प्यार के दीप" गजल-संग्रह और उसके रचयिता ओंकार सिंह ओंकार
Ravi Prakash
दिल से निभाती हैं ये सारी जिम्मेदारियां
दिल से निभाती हैं ये सारी जिम्मेदारियां
Ajad Mandori
Started day with the voice of nature
Started day with the voice of nature
Ankita Patel
"अगर"
Dr. Kishan tandon kranti
सुनो पहाड़ की.....!!! (भाग - ६)
सुनो पहाड़ की.....!!! (भाग - ६)
Kanchan Khanna
" कविता और प्रियतमा
DrLakshman Jha Parimal
यूं ही नहीं हमने नज़र आपसे फेर ली हैं,
यूं ही नहीं हमने नज़र आपसे फेर ली हैं,
ओसमणी साहू 'ओश'
मर्द की कामयाबी के पीछे माँ के अलावा कोई दूसरी औरत नहीं होती
मर्द की कामयाबी के पीछे माँ के अलावा कोई दूसरी औरत नहीं होती
Sandeep Kumar
इक दूजे पर सब कुछ वारा हम भी पागल तुम भी पागल।
इक दूजे पर सब कुछ वारा हम भी पागल तुम भी पागल।
सत्य कुमार प्रेमी
जैसे
जैसे
Dr.Rashmi Mishra
आप कुल्हाड़ी को भी देखो, हत्थे को बस मत देखो।
आप कुल्हाड़ी को भी देखो, हत्थे को बस मत देखो।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
सड़क
सड़क
SHAMA PARVEEN
संत नरसी (नरसिंह) मेहता
संत नरसी (नरसिंह) मेहता
Pravesh Shinde
Loading...