पी की याद में
पी की याद में
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रात हुईं आधी से अधिक पर , नैनो में अब नीद कहां है।
प्रिय मिलन को तरसते नैना , चांद दिखे वह ईद कहाँ है।
रात रात भर जाग के सोचूँ,बिन साजन है काली रतिया
साथ सजन जो होते मेरे, गलबहियां कर करती बतिया।
रात रात भर रहूँ अकेले बिना सजना बिना बात के
रात रात भर रहूँ अकेले, कटे नहीं ये सुनी रतिया।
रात रात भर सो ना सकी, फिर भी नैनन उनीद कहां है।
रात हुईं आधी से अधिक पर.नैनों मेन अब नींद कहां है।
पिया गये परदेश सखि पर , भेजे ना अबहूँ एक पतीया।
सोच रही पी जो मिल गये,जल भून करूंगी सारी बतिया।
रात रात भर नींद न आये , बिन सजना बीन साथ के
साथ सजन जो होते मेरे, सुख से कटती सारी रतिया।
टुकुर टुकुर देखूँ भीर बहरी , चाँद दिखे वह ईद कहां है।
रात हुईं आधी से अधिक पर ,नैनों में अब नींव कहां है।
पपीहा बन मैं बूंद निहारूं , हूक उठे से फटती छतियां।
रैन बीते कई पहर बीते , आई ना कोई बलम की पतीया।
चांद दिखे पर चांदनी गायब , बिन चंदा परकाश के।
सजन बिना सब सुना लागे, क्या दिन हो या फिर रतिया।
पपीहा अब भी बूंद को तरसे ,स्वाती है पर बूं इंद कहाँ है।
रात हुई आधी से अधिक पर , नैनों में अब नींद कहाँ है।
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? पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
?? ग्राम + पो. – मुसहरवा
पश्चिमी चम्पारण , बिहार
८४५४५५
☎ ९५६०३३५९५२
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