Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Sep 2020 · 1 min read

“पिपली लाठीचार्ज” इंसाफ़ मिले किसान को…

“कब समझोगे इस भोले अन्नदाता की पीड़ा !
उठा लो ग़रीब किसान के उत्थान का बीड़ा !!”

मिलती है ग़रीबी उस मेहनती किसान को !
जिसकी बदौलत मिलता अन्न जहान को !!
देती नहीं सरकार अन्न की सही क़ीमत भी !
हक मांगे तो मिले लाठीचार्ज किसान को !!

मिलना चाहिए था सम्मान जिस किसान को !
मार रही है लाठी से सरकार उस किसान को !!
एक दिन करेगी क़ुदरत इंसाफ़ उन सबका भी !
दिला ना सके जो इंसाफ़ देश के किसान को !!

सब बिख़र ना जाए सम्भाल लो कमान को !
वक़्त है बचा लो धरा के चहेते किसान को !!
उगाकर अन्न भूख़ सबकी मिटाता किसान है !
चुका फ़र्ज़ अपना और बचा ले किसान को !!

अग़र हम बचा ना पाए देश के किसान को !
भूखे मरने की नौबत आ जाएगी इंसान को !!
ये धरा भी हमको धिक्कारेगी चीख़ चीख़ के !
जो इंसाफ़ ना दिलाया अन्नदाता किसान को !!

Language: Hindi
10 Likes · 10 Comments · 857 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वृक्षों का रोपण करें, रहे धरा संपन्न।
वृक्षों का रोपण करें, रहे धरा संपन्न।
डॉ.सीमा अग्रवाल
तुझे देखने को करता है मन
तुझे देखने को करता है मन
Rituraj shivem verma
बंधन यह अनुराग का
बंधन यह अनुराग का
Om Prakash Nautiyal
प्रेम बनो,तब राष्ट्र, हर्षमय सद् फुलवारी
प्रेम बनो,तब राष्ट्र, हर्षमय सद् फुलवारी
Pt. Brajesh Kumar Nayak
सुकून
सुकून
अखिलेश 'अखिल'
जहाँ सूर्य की किरण हो वहीं प्रकाश होता है,
जहाँ सूर्य की किरण हो वहीं प्रकाश होता है,
Ranjeet kumar patre
2317.पूर्णिका
2317.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
बसंत पंचमी
बसंत पंचमी
Neeraj Agarwal
जीत से बातचीत
जीत से बातचीत
Sandeep Pande
बचपन याद किसे ना आती💐🙏
बचपन याद किसे ना आती💐🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
हालात ए वक्त से
हालात ए वक्त से
Dr fauzia Naseem shad
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
कश्ती औऱ जीवन
कश्ती औऱ जीवन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कहां खो गए
कहां खो गए
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
"मनुष्य"
Dr. Kishan tandon kranti
वैलेंटाइन डे पर कविता
वैलेंटाइन डे पर कविता
Shekhar Chandra Mitra
पावन सावन मास में
पावन सावन मास में
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
खुशियों का बीमा (व्यंग्य कहानी)
खुशियों का बीमा (व्यंग्य कहानी)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"शर्म मुझे आती है खुद पर, आखिर हम क्यों मजदूर हुए"
Anand Kumar
■ मीठा-मीठा गप्प, कड़वा-कड़वा थू।
■ मीठा-मीठा गप्प, कड़वा-कड़वा थू।
*Author प्रणय प्रभात*
ग्वालियर की बात
ग्वालियर की बात
पूर्वार्थ
*सम्मति*
*सम्मति*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*किसी की भी हों सरकारें,मगर अफसर चलाते हैं 【मुक्तक】*
*किसी की भी हों सरकारें,मगर अफसर चलाते हैं 【मुक्तक】*
Ravi Prakash
कहानी
कहानी
कवि रमेशराज
देह धरे का दण्ड यह,
देह धरे का दण्ड यह,
महेश चन्द्र त्रिपाठी
*मैं और मेरी तन्हाई*
*मैं और मेरी तन्हाई*
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
भूख
भूख
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
रोज रात जिन्दगी
रोज रात जिन्दगी
Ragini Kumari
स्याही की मुझे जरूरत नही
स्याही की मुझे जरूरत नही
Aarti sirsat
क्या आप उन्हीं में से एक हैं
क्या आप उन्हीं में से एक हैं
ruby kumari
Loading...