पीत चुनरिया पीत वसन है
गीतिका
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पीत चुनरिया पीत वसन हैं।
फूलों से सज्जित उपवन हैं।
फूलों पर मंडराते फिरते,
मनमौजी भंवरों के मन है।
पीली सरसों के महकाते,
मन को भाते खेत सघन हैं।
नयी आस की कोंपल लेकर,
आज सुसज्जित सारे वन हैं।
नव जीवन की नव ज्योति से
ज्योतिर्मय अब सारे जन है।।
नव जीवन का हुआ संचरण,
हुए उजागर सबके फन हैं।।
मातु शारदे की किरपा से,
काव्य ऋषि करते सिरजन हैं।।
?अटल मुरादाबादी ?