पीत चुनरिया पहन धरा ने
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मुक्तक
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पीत चुनरिया पहन धरा ने दुल्हन सा श्रृंगार किया।
वन उपवन में सुमन खिले हैं भॅवरों ने मकरंद पिया।
पेड़ों पर अब बोल रही है कोयल मीठी वाणी में,
छिटक रही है धूप चमन में मनमोहक मधुमास दिया।।
?अटल मुरादाबादी ?