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19 Jan 2017 · 1 min read

पिया मिलन की बात

पिया मिलन की बात

सुनीसुनी सी रात, मन भीगा
याद आई तेरी, मन बहका,
आज मंज़र थे कुछ जालिम से
याद आये दिन वह मिलन के
सावन के भीगी भीगी रातों मे
दूर गगन में जब बिजली चमकी,
बाँहे फैलाये तू लता सी चिपकी
आँहे तेरी,जैसे बजा राग मल्लाहर
सखी, जैसे बैठी हो कर सोलह शृंगार
सुर्ख नैनों मे बहे आतुरता की धार
लगा मधुर स्पर्श जैसे शीतल फुवार,
काली घटा में चमकी मन की आग
सांसे तेरी छेढ़ गई समर्पण के राग
नभ मे समाये बादल,भीगी भीगी रात
सखी मे समाये हम,मिलन की सौगात
सो न पाये, करवटें बदल बीती सारी रात,
भूल नहीं पाएंगे, दो दिलों की मुलाकात
कहनी है कोई बात, सूनी सूनी सी रात
अम्बर से जल,धरती से मिलने की बात
तरसे पिया मिलन को,लोग कहें बरसात।

सजन

Language: Hindi
1418 Views
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