पियक्कड़ों का नववर्ष
पियक्कड़ों का नववर्ष
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नये साल के ताल पर
बीवी गाल बजाये,
या साली गरीयाये,
हमें नहीं कोई फर्क
आया हैं नव वर्ष।
अपने मन का काम करेंगे
दारू पी बवाल करेंगे,
नये साल के नाम पे यारो
हर वो उल्टा काम करेंगे,
जो चाहे वो दुनिया कहले
हमें नहीं कोई फर्क,
आया है नव वर्ष।
काम किया नहीं आज करेंगे
घर में बीवी से ही लड़ेंगे,
कल भी थे निठल्ले हम तो
नल्ले ही हम आज रहेंगे ,
निखट्टू कहे या नल्ला दुनिया
हमें नहीं कोई फर्क,
आया हैं नव वर्ष।
उल्टा सीधा काम हमारा
काम गलत कर मैं सुख पाता,
पी दारू मै करूँ बखेड़ा
काम यहीं हमें दिल से भाता,
चाहे तो लतियाये दुनिया
हमें नहीं कोई फर्क,
आया है नव वर्ष।
दारू बीयर है हमको प्यारी
इसमें दिखती दुनिया सारी,
बाकी मिथ्या जग है सारा
इसके सिवा नहीं कुछभी प्यारा,
अब दुनिया ; चाहे जो समझे
हमें नहीं कोई फर्क
आया है नव वर्ष।
नये वर्ष का मान करेंगे
पी दारू सम्मान करेंगे,
उसपर चखना जो देदेगा
उसको हम प्रणाम करेंगे,
चखना देकर फिर दुत्कारे
हमें नहीं कोई फर्क,
आया है नव वर्ष।
नये वर्ष संदेश हमारा
नशामुक्त हो यह जग सारा
कभी किसी का साथ न छूटे
नशे से कोई घर ना टूटे
नशाखोरी से क्षति जो होती
कैसे दूं मैं तर्क
आया हैं नव वर्ष।।
©®………
पं.संजीव शुक्ल “सचिन”