पिता(2)
:::::पिता:::::
अपनी खुशियों को त्यागता
खुद के भाव खोता
जबरन मुस्कराता दर्द पीता,
बच्चों के साथ बच्चा बनकर
बच्चों की खातिर
हाथी घोड़ा बनकर,
आंसू पीकर भी हंसता
रोना चाहकर भी मुस्कुराता,
पिता बनना नहीं होना कठिन है,
जब तक बच्चा नहीं बनता पिता।
?सुधीर श्रीवास्तव