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29 Jul 2017 · 1 min read

पिता

पिता जीवन की शक्ति है,जन्म की प्रथम अभिव्यक्ति है,
पिता है नींव की मिट्टी,जो थामे घर को रखती है

पिता ही द्वार पिता प्रहरी ,सजग रहता है चौपहरी
पिता दीवार पिता ही छत, ज़रा स्वभाव का है सख्त

पिता पालन है पोषण है, पिता से घर में भोजन है
पिता से घर में अनुशासन, डराता जिसका प्रशासन

पिता संसार बच्चों का, सुलभ आधार सपनों का
पिता पूजा की थाली है, पिता होली दिवाली है

पिता अमृत की है धारा , ज़रा सा स्वाद में खारा
पिता चोटी हिमालय की, ये चौखट है शिवालय की

हरि ब्रह्मा या शिव होई, पिता सम पूजनिय कोई
हुआ है न कभी होई, हुआ है न कोई होई

Language: Hindi
787 Views
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