Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Oct 2016 · 1 min read

“पिताश्री”

गर्दन उठा कर , शान से जीना सिखा दिया !
करता हूं नमन भगवान्; मुझे ऐसा पिता दिया!
नारी का सम्मान,गरीबों-खातिर लड़ने का गुण,
अपने खून के इक कतरे, सब कुछ मिला दिया !
(पिताश्री को समर्पित)

Language: Hindi
522 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
फिर मिलेंगें
फिर मिलेंगें
साहित्य गौरव
अद्वितीय संवाद
अद्वितीय संवाद
Monika Verma
नसीहत
नसीहत
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
।। सुविचार ।।
।। सुविचार ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
#देसी_ग़ज़ल
#देसी_ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
सच्ची सहेली - कहानी
सच्ची सहेली - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"कदर"
Dr. Kishan tandon kranti
हर बात को समझने में कुछ वक्त तो लगता ही है
हर बात को समझने में कुछ वक्त तो लगता ही है
पूर्वार्थ
*।।ॐ।।*
*।।ॐ।।*
Satyaveer vaishnav
गरीब–किसान
गरीब–किसान
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
सच्चे इश्क़ का नाम... राधा-श्याम
सच्चे इश्क़ का नाम... राधा-श्याम
Srishty Bansal
मानवता की चीखें
मानवता की चीखें
Shekhar Chandra Mitra
बड़ी मुश्किल से लगा दिल
बड़ी मुश्किल से लगा दिल
कवि दीपक बवेजा
हादसे बोल कर नहीं आते
हादसे बोल कर नहीं आते
Dr fauzia Naseem shad
जीवन का सफर
जीवन का सफर
नवीन जोशी 'नवल'
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हमे भी इश्क हुआ
हमे भी इश्क हुआ
The_dk_poetry
राष्ट्र निर्माण को जीवन का उद्देश्य बनाया था
राष्ट्र निर्माण को जीवन का उद्देश्य बनाया था
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
निरापद  (कुंडलिया)*
निरापद (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
International Camel Year
International Camel Year
Tushar Jagawat
नज़र चुरा कर
नज़र चुरा कर
Surinder blackpen
बचपन
बचपन
लक्ष्मी सिंह
लोहा ही नहीं धार भी उधार की उनकी
लोहा ही नहीं धार भी उधार की उनकी
Dr MusafiR BaithA
3130.*पूर्णिका*
3130.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शराब
शराब
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
शीर्षक – वह दूब सी
शीर्षक – वह दूब सी
Manju sagar
लौटना मुश्किल होता है
लौटना मुश्किल होता है
Saraswati Bajpai
Tum bina bole hi sab kah gye ,
Tum bina bole hi sab kah gye ,
Sakshi Tripathi
अपने हक की धूप
अपने हक की धूप
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
প্রশ্ন - অর্ঘ্যদীপ চক্রবর্তী
প্রশ্ন - অর্ঘ্যদীপ চক্রবর্তী
Arghyadeep Chakraborty
Loading...