Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Apr 2017 · 2 min read

पितरों के सदसंकल्पों की पूर्ति ही श्राद्ध

‘श्राद्ध प्रकाश’ में बृहस्पति कहते हैं कि सच्चे मन और आत्म-पवित्रता के साथ तैयार किये गये शुद्ध पकवान, दूध, दही, घी, तिल, कुश, जल आदि का उचित पात्र को दिया गया दान ही पितर के मन को प्रसन्न करता है। श्राद्ध पक्ष में मनुष्य द्वारा किये गये सुकार्य ही पितरों को लौकिक आवागमन से मुक्ति दिलाकर देवत्व की संज्ञा से विभूषित कराते हैं। पितरों को प्रेतयौनि से छुटकारा दिलाना है और अपने जीवन को शन्तिमय बनाना है तो श्राद्ध पक्ष में मन को पवित्र बनाने के साथ-साथ परोपकार से युक्त करने पर ही यह सम्भव है।
पितर प्रेत-योनि में अनायास नहीं भटकते। उनके अन्दर भटकती अतृत्त इच्छाएँ, मनोकमानाएँ और अधूरे संकल्प उन्हें मोक्ष प्राप्त कराने में बाधा बनते है। जिन लोगों ने मृत्यु से पूर्व तरह-तरह के अपराध किये हों, ऐसे लोग भी मृत्यु के उपरांत प्रेत यौनि में अशांत हुए विचरण करते हैं। प्रेतात्मा बने हुए व्यक्ति का मन पश्चाताप की उस तपन का अनुभव करता है, जिसके कारण-अकारण किसी अन्य व्यक्ति, परिवार या समाज को उसने दुःख पहुँचाया था। पश्चाताप की भट्टी में तपकर प्रेतात्माएँ निर्मल हो जाती हैं। प्रेतात्माओं की यही निर्मलता उनकी सन्तान को सुकार्यों के लिये प्रेरित करती है।
प्रेत-योनि में भटकती कोई भी आत्मा यह नहीं चाहेगी कि कुपथ पर चलने के कारण उसका जो यह अतृप्त या अमोक्ष स्वरूप बना है, इस स्वरूप को आगे चलकर उनकी संताने भी अपनायें। अतः वही पितर अधिकांशतः कुपित, अशांत, उद्विग्न और अपनी संतान को शाप देने वाले होते हैं, जिनकी संताने मनुष्य जीवन में अहंकारी, स्वार्थी, कृतघ्न और क्रूर होती हैं।
क्रूरता, स्वार्थ, कृतघ्नता और अहंकारपूर्ण व्यवहार से मुक्त होकर सदाचार, परोपकार की ओर आगे बढ़ने का नाम श्राद्धकर्म है। अतः पितरों में श्रद्धा रखने का अर्थ ही है कि श्राद्ध कर्म के समय यह संकल्प लिया जाये कि हे स्वार्गवासी मात-पिताओं हम ऐसा कोई कार्य नहीं करेंगे, जिससे तुम्हारी आत्मा को ठेस लगे। हम केवल उसी मार्ग पर चलेंगे, जो परोपकार और मानव मंगल की रौशनी से परिपूर्ण हो।
श्राद्ध के दिनों में वचितों, गरीबों को भोजन कराने से, निर्बल का बल बन जाने से, अनीति और अत्याचार का विरोध करने से, असहायों की सहायता करने से परमात्मा प्रसन्न होता है। आपके मन की सच्ची पुकार को सुनता है। आपके सुकार्यों को देखकर वह इतना द्रवीभूत हो उठता है कि वह आपके पितरों की भटकती हुई आत्माओं के लिये तो मोक्ष के द्वार खोलता ही है साथ ही आपके जीवन को वैभव और यश से भर देता है।
अतः श्राद्ध पक्ष में पितृ-आवाहन-पूजन के साथ-साथ ‘देव तर्पणम’ भी करना चाहिए। जल, वायु, अग्नि, यहाँ तक बुद्धि , प्रतिभा, करुणा, दया, प्रसन्नता पवित्रता आदि उसी परमात्मा के अंश हैं, जिनके बल पर हम उन्नति के सोपान चढ़ते हैं। सद्कर्मों में श्रद्धा रखते हुए सुमार्ग की ओर अग्रसर होना ही एक मात्र ऐसा उपाय है, जिससे पितर पक्ष मोक्ष को प्राप्त होता है और उसमें देवांश समाहित हो जाता है। यदि पितर देवतुल्य हो जाते हैं तो आपके अशांत जीवन में शांति का समावेश हर हाल में हो जायेगा।
——————————————————
सम्पर्क- 15/109, ईसा नगर, अलीगढ़

Language: Hindi
Tag: लेख
276 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जमाने की अगर कह दूँ, जमाना रूठ जाएगा ।
जमाने की अगर कह दूँ, जमाना रूठ जाएगा ।
Ashok deep
विध्वंस का शैतान
विध्वंस का शैतान
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
धरती का बस एक कोना दे दो
धरती का बस एक कोना दे दो
Rani Singh
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
क्या मुगलों ने लूट लिया था भारत ?
क्या मुगलों ने लूट लिया था भारत ?
Shakil Alam
यादें
यादें
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
कान्हा प्रीति बँध चली,
कान्हा प्रीति बँध चली,
Neelam Sharma
संपूर्णता किसी के मृत होने का प्रमाण है,
संपूर्णता किसी के मृत होने का प्रमाण है,
Pramila sultan
नमो-नमो
नमो-नमो
Bodhisatva kastooriya
कब तक बचोगी तुम
कब तक बचोगी तुम
Basant Bhagawan Roy
सहित्य में हमे गहरी रुचि है।
सहित्य में हमे गहरी रुचि है।
Ekta chitrangini
“आखिर मैं उदास क्यूँ हूँ?
“आखिर मैं उदास क्यूँ हूँ?
DrLakshman Jha Parimal
बना चाँद का उड़न खटोला
बना चाँद का उड़न खटोला
Vedha Singh
बम से दुश्मन मार गिराए( बाल कविता )
बम से दुश्मन मार गिराए( बाल कविता )
Ravi Prakash
दास्तां
दास्तां
umesh mehra
एक जहाँ हम हैं
एक जहाँ हम हैं
Dr fauzia Naseem shad
@घर में पेड़ पौधे@
@घर में पेड़ पौधे@
DR ARUN KUMAR SHASTRI
चॉकलेट
चॉकलेट
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
हमारा सब्र तो देखो
हमारा सब्र तो देखो
Surinder blackpen
अम्बर में अनगिन तारे हैं।
अम्बर में अनगिन तारे हैं।
Anil Mishra Prahari
भूतल अम्बर अम्बु में, सदा आपका वास।🙏
भूतल अम्बर अम्बु में, सदा आपका वास।🙏
संजीव शुक्ल 'सचिन'
"सुरेंद्र शर्मा, मरे नहीं जिन्दा हैं"
Anand Kumar
🙅आज का मैच🙅
🙅आज का मैच🙅
*Author प्रणय प्रभात*
आंखों की भाषा
आंखों की भाषा
Mukesh Kumar Sonkar
ਉਸਦੀ ਮਿਹਨਤ
ਉਸਦੀ ਮਿਹਨਤ
विनोद सिल्ला
यकीं मुझको नहीं
यकीं मुझको नहीं
Ranjana Verma
बाल मन
बाल मन
लक्ष्मी सिंह
"हर दिन कुछ नया सीखें ,
Mukul Koushik
मेरी माटी मेरा देश भाव
मेरी माटी मेरा देश भाव
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
कुछ बीते हुए पल -बीते हुए लोग जब कुछ बीती बातें
कुछ बीते हुए पल -बीते हुए लोग जब कुछ बीती बातें
Atul "Krishn"
Loading...