पावस ऋतु
पावस ऋतु
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सत* रंग चूनर* सोलह श्रृंगार!
मेघ सजल* बरसे जल धार!
सनन सनन पवन* का जोर
बरस रही बर्षा* घनघोर
मेढक टर – टर गीत सुनाये
गगन में गुंजे मेघ का शोर
पत्तों पर दिखे बूंद की हार!
मेघ सजल बरसे जल धार!
पावस* ऋतु नारी, नर सावन
रस रिमझिम संगीत सुहावन
वीरहन के मन को तड़पाये
प्रेमी युगल कहे मनभावन
मधुर मिलन का यह त्योहार!
मेघ सजल बरसे जल धार!
पत्ता – पत्ता जैसे कामिनी*
मन सिहराये मेघ दामिनी*
हरियाली मन को हर्षाये*
पंछी गायें जैसे रागिनी*
सरवर * में सारस करे प्यार!
मेघ सजल बरसे जल धार!
————✍✍
पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर)
प.चम्पारण…. बिहार
अर्थ….
सत = सात
चूनर=चुंदरी
सजल = जल से पूरित
पवन = हवाँ
वर्षा = बारिश
पावस = वर्षा
कामिनी = सुन्दर स्त्री
दामिनी = बरसाती बीजली
हर्ष = खुशी
रागिनी = संगीत में राग की पत्नी