*”पानी”*
“पानी”
पानी बिना सब सून,
पानी से ही जीवन ,
पानी अनमोल रतन,
पानी बचाइए।
उमड़ घुमड़ गरजते ,
घन चमकते बरसते,
पानी पीकर जीते,
संग्रहण करते।
पानी अमृत धारा ,
हर सुख का सहारा,
एक एक बूंद बचाओ,
व्यर्थ ना बहाओ।
शशिकला व्यास✍
“पानी”
पानी बिना सब सून,
पानी से ही जीवन ,
पानी अनमोल रतन,
पानी बचाइए।
उमड़ घुमड़ गरजते ,
घन चमकते बरसते,
पानी पीकर जीते,
संग्रहण करते।
पानी अमृत धारा ,
हर सुख का सहारा,
एक एक बूंद बचाओ,
व्यर्थ ना बहाओ।
शशिकला व्यास✍