Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Apr 2017 · 1 min read

पानी

पानी

हाँ मैं मानता हूँ
देखने में मेरी हस्ती
क्या है कुछ भी नही
आग पर गिरूं
जलकर भाप बन उडूं
धरा पर गिरूं
हर प्यासा रोम
अपने अंदर मुझे सोख ले
जो गिरूं किसी ताल में
लहरों में बिखर-बिखर
छम-छम कर लहरा उठूं
इतना कुछ होने पर भी
मेरा एक अलग नाम है
मेरी एक अलग पहचान है।
वर्षों पुरानी मेरी दास्तान है
जो आज यहाँ पर बयान है।
जब तपती है धरा तो
टकटकी बांधकर लोग मुझे
नीले साफ आसमान में
बस मुझे ही हैं ढूंढते
तब मैं काले सफेद मेघ बन
उडेलता हूँ छाज भरकर
दानों रूपी बूंदों को
जो पेड-पौधे ओर उनकी जडों को
सींचता हुआ चला जाता है।
जब मानव परेशान होकर
बैठ जाता है तब उसकी आँखों में
मैं उमड पड़ता हूँ।
कल-कल करता जब बहता हूँ
तब मेरा रूप सुन्दर हो जाता है।
जब इकट्ठा होकर बहता हूँ कहीं
अपने अंदर समेट कर सब कुछ
बह निकलता हूँ।
-0-
नवल पाल प्रभाकर

Language: Hindi
273 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
💐प्रेम कौतुक-454💐
💐प्रेम कौतुक-454💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
sushil sarna
*लव इज लाईफ*
*लव इज लाईफ*
Dushyant Kumar
विकटता और मित्रता
विकटता और मित्रता
Astuti Kumari
तुम जो आसमान से
तुम जो आसमान से
SHAMA PARVEEN
सभी गम दर्द में मां सबको आंचल में छुपाती है।
सभी गम दर्द में मां सबको आंचल में छुपाती है।
सत्य कुमार प्रेमी
बाकी सब कुछ चंगा बा
बाकी सब कुछ चंगा बा
Shekhar Chandra Mitra
बहुत देखें हैं..
बहुत देखें हैं..
Srishty Bansal
बाल कविता: मछली
बाल कविता: मछली
Rajesh Kumar Arjun
जीने का हौसला भी
जीने का हौसला भी
Rashmi Sanjay
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक समीक्षा*
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक समीक्षा*
Ravi Prakash
ग़ज़ल/नज़्म - प्यार के ख्वाबों को दिल में सजा लूँ तो क्या हो
ग़ज़ल/नज़्म - प्यार के ख्वाबों को दिल में सजा लूँ तो क्या हो
अनिल कुमार
मेरा बचपन
मेरा बचपन
Ankita Patel
कथ्य-शिल्प में धार रख, शब्द-शब्द में मार।
कथ्य-शिल्प में धार रख, शब्द-शब्द में मार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
झूठ के सागर में डूबते आज के हर इंसान को देखा
झूठ के सागर में डूबते आज के हर इंसान को देखा
Er. Sanjay Shrivastava
🙂
🙂
Sukoon
दिखा दूंगा जहाँ को जो मेरी आँखों ने देखा है!!
दिखा दूंगा जहाँ को जो मेरी आँखों ने देखा है!!
पूर्वार्थ
मौन
मौन
निकेश कुमार ठाकुर
जाने क्यूं मुझ पर से
जाने क्यूं मुझ पर से
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
चिन्ता और चिता मे अंतर
चिन्ता और चिता मे अंतर
Ram Krishan Rastogi
जग के जीवनदाता के प्रति
जग के जीवनदाता के प्रति
महेश चन्द्र त्रिपाठी
धुंध इतनी की खुद के
धुंध इतनी की खुद के
Atul "Krishn"
गुरु महिमा
गुरु महिमा
विजय कुमार अग्रवाल
2403.पूर्णिका
2403.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मेरी जिंदगी में जख्म लिखे हैं बहुत
मेरी जिंदगी में जख्म लिखे हैं बहुत
Dr. Man Mohan Krishna
चाँद
चाँद
Vandna Thakur
स्वाधीनता संग्राम
स्वाधीनता संग्राम
Prakash Chandra
★साथ तेरा★
★साथ तेरा★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
ਰਿਸ਼ਤਿਆਂ ਦੀਆਂ ਤਿਜਾਰਤਾਂ
ਰਿਸ਼ਤਿਆਂ ਦੀਆਂ ਤਿਜਾਰਤਾਂ
Surinder blackpen
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
Loading...