पाट दो खाई
पाट दो खाई
जात पात की तुम पाटदो खाई।।
मिलजुल कर जग में रहलो भाई।।
नफरत से न मिलत है खुशीया।।
सबके दिल मैं एक ही सच्चाई।।
चार दिन की इस जिंदगानी मैं।।
क्यूँ करत हो तुम सबसे बैराई।।
अलग होके नही आयो जग में कोई।।
एक जैसे तेरे बैसे सबके बाप मताई।।
जीवन मरण मिट्टी में मिलत एक दिन।।
धरा का धरा सब यही पर रहजाई।।
जीते जी सब कहे है संविधान धन।।
सब अधिकार कलम किताब दिलाई।।
हे मानव जग में सबसे समताकर।।
बाबा साहेब उंगली राह दिये जताई।।
अच्छे शिक्षा कर जीवन सुधार करले।।
पीढ़ियों की दशा दिशा सब बनजाई।।
गायत्री चौधरी सोनु मन्दसौर