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24 Jul 2019 · 1 min read

पशु बनाम मानव

पशु बनाम मानव

सुनसान से निर्जन जंगल में
करती मादा विचरण जंगल में

नर पशुओं के बीच है रहती
न यौन शोषण का दंश सहती

रुत आने पर ही होए सहवास
न पूजा – पाठ न व्रत उपवास

कोई धर्मग्रंथ न ही धर्मस्‍थल है
नैतिक मूल्य फिर भी प्रबल है

फिर भी इनकी पशुवृति बताई
पशुवृति कहाँ है समझ न आई

विनोद सिल्‍ला कुछ सीखो इनसे
जानो नैतिकता इनके जीवन से

-विनोद सिल्‍ला

Language: Hindi
444 Views
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