पशुता यदि मानव करे
पशुता यदि मानव करे,है उसको धिक्कार।
उसको पल भर है नहीं,जीने का अधिकार।।
जीने का अधिकार,खोय वह अपना सारा।
जिस क्षण उसने हाथ,नार इज्जत पर डारा।।
कहै अटल कविराय,बीच में बढती कटुता ।
मानवता को छोड़,करे जब मानव पशुता।।
पशुता यदि मानव करे,है उसको धिक्कार।
उसको पल भर है नहीं,जीने का अधिकार।।
जीने का अधिकार,खोय वह अपना सारा।
जिस क्षण उसने हाथ,नार इज्जत पर डारा।।
कहै अटल कविराय,बीच में बढती कटुता ।
मानवता को छोड़,करे जब मानव पशुता।।