Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Feb 2021 · 1 min read

पल पल गिरता

पल पल गिरता

पल- पल गिरता
पल- पल उठता
कुछ -कुछ उजड़ा
मंजिल मंजिल
सबकी चाहत
राग ये होता
हर- पल पल- पल

कहाँ ठिकाना
होगा किस करवट
उलझा उलझा
कुछ तो सुलझे
इसी चाह में
सुबह से शाम
हफ़्तों महीने
यूं ही चलता सफर
अंत नहीं है
इस सफर का

मन को समझाता
चाहतों पर रोक लगाता
फिर भी इसको
आस न दिखती
भारी पल -पल
भारी क्षण -क्षण
सांसें नम हैं
गम ही गम हैं

फिर भी आस
दिखाता जीवन
रुकता बढ़ता
बढ़ता रुकता
चलता जाता
पल -पल
क्षण- क्षण

काश हो ऐसा
खिलें सभी- तन
खिलें सभी- मन
चमकी- चमकी
खिली सुबह हो
मिल जाए
सब को ये जीवन
खिले चाँदनी
राह पुष्प भरी हो जाए

सूना- सूना
कुछ भी न हो
चंचल- चंचल
मंद नदी -सा
बहता- बहता
सबका जीवन
सबसे सब कुछ
कहता जीवन
कभी रुपहली
रात न आये
खिले चाँद सा

जीवन जीवन
कभी न रुकता
आगे बढ़ता
पुष्पित करता
हर -तन हर -मन
सभी रंग के
धर्म सजे हों
सभी रंग के
कर्म सजे हों
पल- पल
पल्लवित होता जीवन
कभी न रुकता
कभी न गिरता

बढ़ता जाए
सबका जीवन
अंत सभी का
मनचाहा हो
मोक्ष राह में
बाधा न हो
मन में
कोई निराशा न हो
अंत समय
कोई आशा न हो

मोक्ष मार्ग पर
बढ़ता जीवन
सबको सबका
भाता जीवन
देवतुल्य हो जाए जीवन

जीवन तुम
जीवन हो जाओ
आदर्श धरा पर
तुम छा जाओ
जीवन तुम जीवन की आशा
पूर्ण करो सबकी अभिलाषा

Language: Hindi
1 Comment · 344 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
View all
You may also like:
*मदमस्त है मौसम हवा में, फागुनी उत्कर्ष है (मुक्तक)*
*मदमस्त है मौसम हवा में, फागुनी उत्कर्ष है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
ख़ामोशी से बातें करते है ।
ख़ामोशी से बातें करते है ।
Buddha Prakash
मेरा लड्डू गोपाल
मेरा लड्डू गोपाल
MEENU
सजाता हूँ मिटाता हूँ टशन सपने सदा देखूँ
सजाता हूँ मिटाता हूँ टशन सपने सदा देखूँ
आर.एस. 'प्रीतम'
तारों के मोती अम्बर में।
तारों के मोती अम्बर में।
Anil Mishra Prahari
दोस्ती
दोस्ती
Neeraj Agarwal
मर्चा धान को मिला जीआई टैग
मर्चा धान को मिला जीआई टैग
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
अंधेरे में भी ढूंढ लेंगे तुम्हे।
अंधेरे में भी ढूंढ लेंगे तुम्हे।
Rj Anand Prajapati
अपना जीवन पराया जीवन
अपना जीवन पराया जीवन
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
राम - दीपक नीलपदम्
राम - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
■ कविता / स्वान्त सुखाय :-
■ कविता / स्वान्त सुखाय :-
*Author प्रणय प्रभात*
मैं आखिर उदास क्यों होउँ
मैं आखिर उदास क्यों होउँ
DrLakshman Jha Parimal
झकझोरती दरिंदगी
झकझोरती दरिंदगी
Dr. Harvinder Singh Bakshi
Kagaj ke chand tukado ko , maine apna alfaj bana liya .
Kagaj ke chand tukado ko , maine apna alfaj bana liya .
Sakshi Tripathi
होगे बहुत ज़हीन, सवालों से घिरोगे
होगे बहुत ज़हीन, सवालों से घिरोगे
Shweta Soni
कविता के मीत प्रवासी- से
कविता के मीत प्रवासी- से
प्रो०लक्ष्मीकांत शर्मा
दुकान वाली बुढ़िया
दुकान वाली बुढ़िया
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
आज़ ज़रा देर से निकल,ऐ चांद
आज़ ज़रा देर से निकल,ऐ चांद
Keshav kishor Kumar
मेरे कलाधर
मेरे कलाधर
Dr.Pratibha Prakash
13) “धूम्रपान-तम्बाकू निषेध”
13) “धूम्रपान-तम्बाकू निषेध”
Sapna Arora
दिल को दिल से खुशी होती है
दिल को दिल से खुशी होती है
shabina. Naaz
मैं भारत का जवान हूं...
मैं भारत का जवान हूं...
AMRESH KUMAR VERMA
तेरा मेरा साथ
तेरा मेरा साथ
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
💐प्रेम कौतुक-303💐
💐प्रेम कौतुक-303💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
शिलालेख पर लिख दिए, हमने भी कुछ नाम।
शिलालेख पर लिख दिए, हमने भी कुछ नाम।
Suryakant Dwivedi
रिश्ते..
रिश्ते..
हिमांशु Kulshrestha
अंतिम पड़ाव
अंतिम पड़ाव
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
"वर्तमान"
Dr. Kishan tandon kranti
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
ज़माना इश्क़ की चादर संभारने आया ।
ज़माना इश्क़ की चादर संभारने आया ।
Phool gufran
Loading...