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29 Aug 2021 · 1 min read

पर

मन में कुछ कसक सी है ।
पर कह नहीं पाता हूं।
गूंगा तो नहीं हूं मैं।
पर कुछ बोल नहीं पाता हूं।
चलता तो हूं हर रोज मैं।
पर कहीं पहुंच नहीं पाता हूं।
ये आसमां में तारे चमकते तो है।
पर कभी बुझ नहीं पाते।
डॉक्टर ने कहा ये बच तो जाएंगे।
पर कभी उठ नहीं सकते।
ये व्यक्ति तो बहुत खूबसरत है।
पर सही व्यक्ति नहीं।
गुलाब दिखता तो बड़ा मनमोहक है।
पर कांटे इसमें बहुत है।
आपका लडका पढ़ने में तो अच्छा है।
पर कोई अनुशासन नहीं।
गाय खाती तो बहुत है।
पर उस हिसाब से दूध नहीं देती।
मां बाप भगवान के सामान है।
ये सभी कहते है।
पर उनकी सेवा बहुत कम ही लोग करते हैं।
मैं ये कविता लिख तो रहा हूं।
पर जो कहना चाह रहा हूं।
वो नहीं कह पा रहा हूं।
सब जगह पर छिपा हुआ है।
पर मैं सब दिखा नहीं पा रहा हूं।

Language: Hindi
1 Like · 476 Views
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