Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Aug 2016 · 1 min read

पर खुशियों की बात नहीं है…….

गज़ल

ग़म का तो अब साथ नहीं है,
पर खुशियों की बात नहीं है।

प्यार वही है पहले जैसा,
लेकिन वो जज़्बात नहीं है।

कितनी रातें रोई शबनम,
यह कोई बरसात नहीं है।

कट जाती है जैसे तैसे,
पर दौलत इफरात नहीं है।

दोस्त नहीं हैं पहले जैसे,
पर दुश्मन सी घात नहीं है।

मुद्दों पर कुछ बात उठी है,
यह झगडा बे-बात नहीं है।

तुम जैसों को टक्कर देना,
सबके बस की बात नही है।

-आर० सी०शर्मा “आरसी”

389 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बहुत याद आती है
बहुत याद आती है
नन्दलाल सुथार "राही"
धुन
धुन
Sangeeta Beniwal
ज़ब्त की जिसमें
ज़ब्त की जिसमें
Dr fauzia Naseem shad
जिन्दगी मे एक बेहतरीन व्यक्ति होने के लिए आप मे धैर्य की आवश
जिन्दगी मे एक बेहतरीन व्यक्ति होने के लिए आप मे धैर्य की आवश
पूर्वार्थ
लिप्सा
लिप्सा
Shyam Sundar Subramanian
तुम्हारे लिए
तुम्हारे लिए
हिमांशु Kulshrestha
हम और तुम
हम और तुम
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
फिर आओ की तुम्हे पुकारता हूं मैं
फिर आओ की तुम्हे पुकारता हूं मैं
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
वह बचपन के दिन
वह बचपन के दिन
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
काश तु मेरे साथ खड़ा होता
काश तु मेरे साथ खड़ा होता
Gouri tiwari
भ्रांति पथ
भ्रांति पथ
नवीन जोशी 'नवल'
संस्कृति वर्चस्व और प्रतिरोध
संस्कृति वर्चस्व और प्रतिरोध
Shashi Dhar Kumar
प्याली से चाय हो की ,
प्याली से चाय हो की ,
sushil sarna
क्यूं हँसते है लोग दूसरे को असफल देखकर
क्यूं हँसते है लोग दूसरे को असफल देखकर
Praveen Sain
विष्णु प्रभाकर जी रहे,
विष्णु प्रभाकर जी रहे,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
ग़ज़ल/नज़्म - फितरत-ए-इंसा...आज़ कोई सामान बिक गया नाम बन के
ग़ज़ल/नज़्म - फितरत-ए-इंसा...आज़ कोई सामान बिक गया नाम बन के
अनिल कुमार
मन का मैल नहीं धुले
मन का मैल नहीं धुले
Paras Nath Jha
"व्यक्ति जब अपने अंदर छिपी हुई शक्तियों के स्रोत को जान लेता
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
अब युद्ध भी मेरा, विजय भी मेरी, निर्बलताओं को जयघोष सुनाना था।
अब युद्ध भी मेरा, विजय भी मेरी, निर्बलताओं को जयघोष सुनाना था।
Manisha Manjari
बगैर पैमाने के
बगैर पैमाने के
Satish Srijan
#हमारे_सरोकार
#हमारे_सरोकार
*Author प्रणय प्रभात*
कोहिनूराँचल
कोहिनूराँचल
डिजेन्द्र कुर्रे
2771. *पूर्णिका*
2771. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*वाह-वाह क्या बात ! (कुंडलिया)*
*वाह-वाह क्या बात ! (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
जो ये समझते हैं कि, बेटियां बोझ है कन्धे का
जो ये समझते हैं कि, बेटियां बोझ है कन्धे का
Sandeep Kumar
तुझमें वह कशिश है
तुझमें वह कशिश है
gurudeenverma198
सबसे बढ़कर जगत में मानवता है धर्म।
सबसे बढ़कर जगत में मानवता है धर्म।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
.........?
.........?
शेखर सिंह
💐प्रेम कौतुक-355💐
💐प्रेम कौतुक-355💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Loading...