Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jun 2017 · 1 min read

कितना सुंदर जमाना था

????
कितना सुंदर जमाना था,
तब मौसम बड़ा सुहाना था।
पेड़-पौधों से भरी धरा,
साथ हरियाली का खजाना था।
शुद्ध पानी, शुद्ध हवा,
शुद्ध खाने का हर दाना था।
वन-उपवन में, घर-आँगन में,
रंग-बिरंगी पक्षियों का चहचहाना था।
अल्हड़-अलमस्त,पुष्प लता का
मंद-मंद मुस्कुराना था।
स्वास्थ्य शक्ति पूर्ण वसुंधरा,
तब सुखमय प्यारा-प्यारा था।
स्वार्थवश मानव ने
पर्यावरण संतुलन बिगाड़ा है।
जागो मानव यत्न करो,
वृक्षारोपण, जन जागरूकता
पर्यावरण संरक्षण काम हमारा है।
????—लक्ष्मी सिंह?☺

Language: Hindi
567 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
विजेता सूची- “सत्य की खोज” – काव्य प्रतियोगिता
विजेता सूची- “सत्य की खोज” – काव्य प्रतियोगिता
Sahityapedia
अपना...❤❤❤
अपना...❤❤❤
Vishal babu (vishu)
दो फूल खिले खिलकर आपस में चहकते हैं
दो फूल खिले खिलकर आपस में चहकते हैं
Shivkumar Bilagrami
2441.पूर्णिका
2441.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
रे कागा
रे कागा
Dr. Kishan tandon kranti
उसकी दहलीज पर
उसकी दहलीज पर
Satish Srijan
जो विष को पीना जाने
जो विष को पीना जाने
Pt. Brajesh Kumar Nayak
तुम चाहो तो मुझ से मेरी जिंदगी ले लो
तुम चाहो तो मुझ से मेरी जिंदगी ले लो
shabina. Naaz
" ठिठक गए पल "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
मुहब्बत
मुहब्बत
Dr. Upasana Pandey
*मिट्टी की वेदना*
*मिट्टी की वेदना*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
■ प्रश्न का उत्तर
■ प्रश्न का उत्तर
*Author प्रणय प्रभात*
जग में अच्छे वह रहे, जिन पर कोठी-कार (कुंडलिया)*
जग में अच्छे वह रहे, जिन पर कोठी-कार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
तुम्हीं पे जमी थीं, ये क़ातिल निगाहें
तुम्हीं पे जमी थीं, ये क़ातिल निगाहें
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
कह न पाई सारी रात सोचती रही
कह न पाई सारी रात सोचती रही
Ram Krishan Rastogi
प्रेम
प्रेम
Sushmita Singh
बदलता साल
बदलता साल
डॉ. शिव लहरी
आँखों से नींदे
आँखों से नींदे
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
श्री रामचरितमानस में कुछ स्थानों पर घटना एकदम से घटित हो जाती है ऐसे ही एक स्थान पर मैंने यह
श्री रामचरितमानस में कुछ स्थानों पर घटना एकदम से घटित हो जाती है ऐसे ही एक स्थान पर मैंने यह "reading between the lines" लिखा है
SHAILESH MOHAN
जिस रास्ते के आगे आशा की कोई किरण नहीं जाती थी
जिस रास्ते के आगे आशा की कोई किरण नहीं जाती थी
कवि दीपक बवेजा
जब सहने की लत लग जाए,
जब सहने की लत लग जाए,
शेखर सिंह
अतीत
अतीत
Neeraj Agarwal
अधूरे सवाल
अधूरे सवाल
Shyam Sundar Subramanian
काव्य का आस्वादन
काव्य का आस्वादन
कवि रमेशराज
मत हवा दो आग को घर तुम्हारा भी जलाएगी
मत हवा दो आग को घर तुम्हारा भी जलाएगी
Er. Sanjay Shrivastava
ज़िंदगी मो'तबर
ज़िंदगी मो'तबर
Dr fauzia Naseem shad
मेरा कल! कैसा है रे तू
मेरा कल! कैसा है रे तू
Arun Prasad
यह जो तुम कानो मे खिचड़ी पकाते हो,
यह जो तुम कानो मे खिचड़ी पकाते हो,
Ashwini sharma
तेरे संग ये जिंदगी बिताने का इरादा था।
तेरे संग ये जिंदगी बिताने का इरादा था।
Surinder blackpen
Loading...