Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Jun 2021 · 1 min read

पर्यावरण पर दोहे

1
स्वस्थ अगर पर्यावरण, स्वस्थ तभी संसार
भूल गया मानव इसे, कर डाला बीमार
2
दूषित है पर्यावरण, आओ करें इलाज
शुद्ध बनाए जो इसे,शुरू करें वो काज
3
धरा गगन पानी हवा, सबको रखिए क्लीन
पेड़ लगाकर दीजिए,धरती को वैक्सीन
4
मिली प्राकृतिक संपदा, हम सबको उपहार
मानव जीवन को यही, देते हैं आधार
5
बोतल में पानी मिले, ऑक्सीजन भी मोल
खतरे में अब जिंदगी, मानव आंखें खोल
6
आहें भरती है नदी,पर्वत सहे कटान
लेकिन सुख को आदमी, ऊंची भरे उड़ान
7
दूषित अब मिलती हवा, जहरीला है आब
इसमें कैसे जिंदगी, देखे मीठे ख्वाब

7.6.2021
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

Language: Hindi
6 Likes · 4 Comments · 1413 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
अनिल
अनिल "आदर्श "
Anil "Aadarsh"
नेता जब से बोलने लगे सच
नेता जब से बोलने लगे सच
Dhirendra Singh
💐प्रेम कौतुक-216💐
💐प्रेम कौतुक-216💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Ye sham uski yad me gujarti nahi,
Ye sham uski yad me gujarti nahi,
Sakshi Tripathi
"जोकर"
Dr. Kishan tandon kranti
नीलेश
नीलेश
Dhriti Mishra
पितर
पितर
Dr. Pradeep Kumar Sharma
सूर्य के ताप सी नित जले जिंदगी ।
सूर्य के ताप सी नित जले जिंदगी ।
Arvind trivedi
वक़्त की फ़ितरत को
वक़्त की फ़ितरत को
Dr fauzia Naseem shad
विद्यार्थी के मन की थकान
विद्यार्थी के मन की थकान
पूर्वार्थ
इंद्रधनुष
इंद्रधनुष
Harish Chandra Pande
मैं उड़ सकती
मैं उड़ सकती
Surya Barman
सवर्ण और भगवा गोदी न्यूज चैनलों की तरह ही सवर्ण गोदी साहित्य
सवर्ण और भगवा गोदी न्यूज चैनलों की तरह ही सवर्ण गोदी साहित्य
Dr MusafiR BaithA
चाय (Tea)
चाय (Tea)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
युवा कवि नरेन्द्र वाल्मीकि की समाज को प्रेरित करने वाली कविता
युवा कवि नरेन्द्र वाल्मीकि की समाज को प्रेरित करने वाली कविता
Dr. Narendra Valmiki
*शुभ गणतंत्र दिवस कहलाता (बाल कविता)*
*शुभ गणतंत्र दिवस कहलाता (बाल कविता)*
Ravi Prakash
गुरु से बडा न कोय🌿🙏🙏
गुरु से बडा न कोय🌿🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
आपको देखते ही मेरे निगाहें आप पर आके थम जाते हैं
आपको देखते ही मेरे निगाहें आप पर आके थम जाते हैं
Sukoon
पाँव में खनकी चाँदी हो जैसे - संदीप ठाकुर
पाँव में खनकी चाँदी हो जैसे - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
दुख
दुख
Rekha Drolia
साँप का जहर
साँप का जहर
मनोज कर्ण
मेरा होकर मिलो
मेरा होकर मिलो
Mahetaru madhukar
2931.*पूर्णिका*
2931.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ओ चाँद गगन के....
ओ चाँद गगन के....
डॉ.सीमा अग्रवाल
अब किसका है तुमको इंतजार
अब किसका है तुमको इंतजार
gurudeenverma198
■ सकारात्मकता...
■ सकारात्मकता...
*Author प्रणय प्रभात*
मैं आग लगाने आया हूं
मैं आग लगाने आया हूं
Shekhar Chandra Mitra
एक गजल
एक गजल
umesh mehra
ऋतु शरद
ऋतु शरद
Sandeep Pande
वक्त
वक्त
लक्ष्मी सिंह
Loading...