परिवर्तन
परिवर्तन निश्चित है ,आएगा”
परिवर्तन निश्चित है ,आएगा।
फिर हंस चुगेगा मोती -माणिक
कौवा दाना -दुनका खायेगा।।
परिवर्तन निश्चित है ,आएगा।।
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घोटालों की बाढ़ न होगी ।
कर्ज़ों से कोई मौत न होगी। ।
गाय-भैंसो का चारा न ललुआ खायेगा।
परिवर्तन निश्चित है ,आएगा।।
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फिर कोई सुखराम सरीखा -कैबिनेट मंत्री न होगा
फिर घाती सतवंतसुरक्षा संतरी न होगा।।
जन-जन गीत प्यार के गाएगा।
परिवर्तन निश्चित है ,आएगा।।
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फिर कोई निर्भया -न निर्ममता की मौत मरेगी।
माँ-बहनों की मांग न बेमतलब उज़ड़ेगी।।
ऐसा समय पुनः आएगा।
परिवर्तन निश्चित है ,आएगा।।
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.(५ )
“दुनिया के बाजार में”
दुनिया के बाजार में,आज हुवा नीलाम।
दो -२अन्नी ,दो कोड़ी में,इंसां का हर काम।।
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बेमानी ने वास कर लिया,इंसानों के दिल में।
इज़्ज़त लूट रहे व्यभिचारी,भरी हुई महफ़िल में।।
मूक हुई आवाम।
दुनिया के बाजार में,आज हुवा नीलाम।
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चहुँ और निराशा के बादल,चुपके -चुपके एक चुप्पी है।
हर रोज़ यहाँ चौराहों पर ,माँ -बेटी की इज़्ज़त लुटती है।। .
काली है हर शाम।
दुनिया के बाजार में,आज हुवा नीलाम।
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सूख गए पानी के दरिया,सडकों पर बह निकला रक्त।
मानव हुआ खून का प्यासा,कैसे करे”अटल”अभिव्यक्त।।
राहों पर झगड़े हैं आम।
दुनिया के बाजार में,आज हुवा नीलाम।
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भूख तड़फती झोपड़ में ,पाने को रोटी का टुकड़ा।
सांस सिसकती खेतों में ,कर्ज़ों ने उसको है जकड़ा।।
शासन है नाकाम।
दुनिया के बाजार में,आज हुवा नीलाम।।
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