Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jul 2017 · 1 min read

परिंदों की भाषा

परिंदों की भाषा
// दिनेश एल० ” जैहिंद”

देख परिंदे दुश्मन को
फर्र-फर्र कर उड़ जाते ।
किसी वार को भाप के
वो झटके से मुड़ जाते ।।

कैसा भी जाल फैलाए
कोई बैरी आते-जाते ।
चतुराई उनकी देखिए
उनके झाँसे में न आते ।।

है उड़ान उनकी ऐसी
मनुष्य भी ललचाए ।
देख उड़ते उनको तो
हरदम हृदय को भाए ।।

ज़मीं से क्षितिज तलक
हर जगह उनका घर है ।
हम सीमाओं में बँधकर
मन में रखे अभी डर हैं ।।

सीमा-सरहद से दूर वो
ना झँझट कोई पाले हैं ।
अपनी धुन के पक्के वो
जग में सबसे निराले हैं ।।

ले साजिंदे सूर उनसे
मधुकर राग बनाते हैं ।
मीठे स्वर को लेकर
कोयल-सा वो गाते हैं ।।

कुक्कड़ु-कू की बाग लगा
प्रातकाल हमें जगाते हैं ।
मधुर गीत सुनाकर हमें
सबके मन को हर्षाते हैं ।।

बुलबुल, मोर, पपीहा
सबकी बोली है मीठी ।
पर नर-नारी की बोली
होती क्यूँ ऐसी तीखी ??

भिन्न-भिन्न रंग के होकर
एक संग ही वो रहते हैं ।
क्या तुम्हें पता चला है
कौन-सी भाषा कहते हैं ।।

=== मौलिक ====
दिनेश एल० “जैहिंद”
05. 07. 2017

Language: Hindi
577 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जीवन की आपाधापी में, न जाने सब क्यों छूटता जा रहा है।
जीवन की आपाधापी में, न जाने सब क्यों छूटता जा रहा है।
Gunjan Tiwari
रंगीन हुए जा रहे हैं
रंगीन हुए जा रहे हैं
हिमांशु Kulshrestha
लोककवि रामचरन गुप्त के पूर्व में चीन-पाकिस्तान से भारत के हुए युद्ध के दौरान रचे गये युद्ध-गीत
लोककवि रामचरन गुप्त के पूर्व में चीन-पाकिस्तान से भारत के हुए युद्ध के दौरान रचे गये युद्ध-गीत
कवि रमेशराज
🧟☠️अमावस की रात ☠️🧟
🧟☠️अमावस की रात ☠️🧟
SPK Sachin Lodhi
धुंध इतनी की खुद के
धुंध इतनी की खुद के
Atul "Krishn"
सर्जिकल स्ट्राइक
सर्जिकल स्ट्राइक
लक्ष्मी सिंह
*रामपुर की गाँधी समाधि (तीन कुंडलियाँ)*
*रामपुर की गाँधी समाधि (तीन कुंडलियाँ)*
Ravi Prakash
जीवन सुंदर गात
जीवन सुंदर गात
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal
कालजयी रचनाकार
कालजयी रचनाकार
Shekhar Chandra Mitra
मीलों का सफर तय किया है हमने
मीलों का सफर तय किया है हमने
कवि दीपक बवेजा
लोग हमसे ख़फा खफ़ा रहे
लोग हमसे ख़फा खफ़ा रहे
Surinder blackpen
परों को खोल कर अपने उड़ो ऊँचा ज़माने में!
परों को खोल कर अपने उड़ो ऊँचा ज़माने में!
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
2311.
2311.
Dr.Khedu Bharti
मुझे दूसरे के अखाड़े में
मुझे दूसरे के अखाड़े में
*Author प्रणय प्रभात*
धीरे-धीरे रूप की,
धीरे-धीरे रूप की,
sushil sarna
हाँ, तैयार हूँ मैं
हाँ, तैयार हूँ मैं
gurudeenverma198
फागुन में.....
फागुन में.....
Awadhesh Kumar Singh
दूसरों के अनुभव से लाभ उठाना भी एक अनुभव है। इसमें सत्साहित्
दूसरों के अनुभव से लाभ उठाना भी एक अनुभव है। इसमें सत्साहित्
Dr. Pradeep Kumar Sharma
लाख़ ज़ख्म हो दिल में,
लाख़ ज़ख्म हो दिल में,
पूर्वार्थ
अज्ञात है हम भी अज्ञात हो तुम भी...!
अज्ञात है हम भी अज्ञात हो तुम भी...!
Aarti sirsat
......मंजिल का रास्ता....
......मंजिल का रास्ता....
Naushaba Suriya
आंख से गिरे हुए आंसू,
आंख से गिरे हुए आंसू,
नेताम आर सी
श्रीराम गिलहरी संवाद अष्टपदी
श्रीराम गिलहरी संवाद अष्टपदी
SHAILESH MOHAN
पुश्तैनी दौलत
पुश्तैनी दौलत
Satish Srijan
"निगाहें"
Dr. Kishan tandon kranti
न थक कर बैठते तुम तो, ये पूरा रास्ता होता।
न थक कर बैठते तुम तो, ये पूरा रास्ता होता।
सत्य कुमार प्रेमी
चंद्र ग्रहण के बाद ही, बदलेगी तस्वीर
चंद्र ग्रहण के बाद ही, बदलेगी तस्वीर
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
आज़ाद हूं मैं
आज़ाद हूं मैं
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
कांग्रेस की आत्महत्या
कांग्रेस की आत्महत्या
Sanjay ' शून्य'
कविता कि प्रेम
कविता कि प्रेम
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
Loading...