परिंदा हूं आसमान में उड़ना चाहता हूं….
परिंदा हूं आसमान में उड़ना चाहता हूं
कस्ती हूं समुंदर में उतरना चाहता हूं
हिम्मत,हुनर, हवसला,क़िस्मत
कितना है सब परखना चाहता हूं।
हर एहसास उलझ गए है
दिल के हाल बिगड़ गए है
जज्बात ठहरते नही अब
बेपरवाह हमे समझ गए है।