*”परदा “*
“परदा”
आड़ लेकर एक दूसरे से ,झीना सा परदा बीच में रहता।
जाने अनजाने भेद छुपाये ही रखता।
लोकलाज मान मर्यादाओं में घूंघट में ,आड़ लेकर लाज बचाये रखता।
अनजाने चेहरा सामने आने पर ,घूंघट ओढे पर्दा प्रथा चलता।
अच्छाई बुराइयों का परदा ओढे राज छिपाये रखता।
धर्म कर्म सभ्यता संस्कृतियों में ,पर्दा प्रथा ही चलता।
नारी का आभूषण गहना मर्यादाओं में मान सम्मान दिलाता।
लाख छुपा छिप नही सकता असली चेहरा सामने झलकता।
सोलह श्रृंगार रूप परदे में छिप जाता कमियों को पकड़ता।
सीमाओं से रहकर ही सुसंस्कार अमूल्य धरोहर बनता।
परदे की आड़ में निहारें प्रभु दर्शन अदभुत झलकता।
सही गलत का फैसला कर सच्चाई का परदा हटाता।
कर्त्तव्य परायण परम्पराओं के बीच में संतुलन बनाए रखता।
जय श्री कृष्णा राधे राधे ????
शशिकला व्यास✍️