Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jan 2019 · 2 min read

परतंत्र का गणतंत्र

गणतंत्र आया ,गणतंत्र आया
देखो कलुआ 26 जनवरी गणतंत्र आया।

कलुआ कुछ समझ न पाया
मन ही मन दुहराया
गणतंत्र आया , गणतंत्र आया।

बाहर देखा तो सूट बूट पहने
बच्चों की एक टोली,
आपस मे खेल रही हमजोली,
उनके मुँह से निकल रही
फ्लैग और रिपब्लिक डे की बोली,

कलुआ रिपब्लिक भाषा समझ न पाया
मन ही मन दोहराया ……….

उसने झट से छत पर पहुँचा
अपनी नजरों को इधर उधर खींचा,
कानों में एक आवाज सी आई
नेता जी की बात सुनाई,
सुनो देश के वासियो ,बड़े भाग से शुभ दिन आया,
गणतंत्र आया……

नेता जी ने वीरों की गाथा गा कर
इतिहास दुहराना सुरु किया,
कुछ विद्वानों का नाम लेकर
संविधान बनाने का दावा पेश किया,

संविधान हमारा न्यारा है
सब देशों से प्यारा है
नाही कोमल नाही कठोर,
यह अंशतः लचीला है
सभी धर्म- जातियों का रखवाला
मूल में 22 भाग 8 अनुसूची 395 अनुच्छेदों वाला है,

निरक्षर कलुआ इन सब बातों को समझ न पाया
मन ही मन दुहराया गणतंत्र………

आगे नेता जी की भाषण जारी रही
उन्ही हाथों से ताली बाजी, जो हाथ आज तक भिखारी रही;
जीन हाथों में दस्ताने थे
उनके चेहरे पर ख़ुशहाली थी,
नंगे हाथों को गर्म करने के लिए
बस ताली ही ताली थी,
समानता की बाते कहना
ऐसा लगता दीनहीनो को सोना मिलना,
सदियों से शोषण सहने वाला
क्या खोया क्या पाया
गणतंत्र आया…

हमने शिक्षा सड़क रोजगार दिया
और लोगों को घर-द्वार दिया,
जीएसटी हो या नोटबन्दी
तीन तलाक पर विचार किया,
राम मंदिर हो या आर्थिक मंदी
इन सबसे देश का उद्धार किया,

उद्धार किया उन गरीबों का
जिनका अन्य दलों ने मज़ाक बनाया
गणतंत्र आया…

इन सब बातों को सुन कलुआ
दिया नजर दौड़ाए,
कहां कितनी सच्चाई है
यह कैसे समझाए,
फुटपाथ पर सोते कितने
जाने दिन बीते कितने,
नही बना सड़क मकान
शिक्षा से हैं हम अनजान,
नही मिला है हाथों को काम
सब जगह होते हैं बदनाम,
ये कैसा बदलाव ये कैसी समानता
कोई खाए बिन है मरता
किसी घर में अनाज है सरता,
जो करते हैं अथक काम
उनको मिलता है कम दाम,
जो करते हैं आराम
उनको मिलता है ईनाम,

दागी दोहरे चेहरे वाले
लोगों को क्या मूर्ख बनाया,
गणतंत्र आया…………

नाही है अपनी भेष भूषा
नाही है अभिव्यक्ति,
नाही है अपनी भाषा बोली
नही है अपनी उक्ति,
बोलते हो अंग्रेजी भाषा
जबकि हिंदी है राष्ट्रभाषा,

मेरी समझ में न आया
अधिनायकों ने ये कैसा
गणतंत्र थमाया,

स्वतंत्रता दिवस ने बादल और बरसात लाया,
तो गणतंत्र दिवस ठण्ड और कुहास लाया ,
किसी ने विकास नही लाया

कलुआ मत देखो 26 जनवरी
परतंत्र का अपभ्रंश गणतंत्र आया ।

विकास का सूरज बादलों और कुहासों में ढंका रहा….. ….

Language: Hindi
1 Like · 552 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from साहिल
View all
You may also like:
बैठ गए
बैठ गए
विजय कुमार नामदेव
ये पीढ कैसी ;
ये पीढ कैसी ;
Dr.Pratibha Prakash
याद आयेगा हमें .....ग़ज़ल
याद आयेगा हमें .....ग़ज़ल
sushil sarna
जब सांझ ढल चुकी है तो क्यूं ना रात हो
जब सांझ ढल चुकी है तो क्यूं ना रात हो
Ravi Ghayal
मैं अचानक चुप हो जाती हूँ
मैं अचानक चुप हो जाती हूँ
ruby kumari
भगतसिंह का क़र्ज़
भगतसिंह का क़र्ज़
Shekhar Chandra Mitra
2388.पूर्णिका
2388.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
सावन मंजूषा
सावन मंजूषा
Arti Bhadauria
आह जो लब से निकलती....
आह जो लब से निकलती....
अश्क चिरैयाकोटी
#प्रेरक_प्रसंग-
#प्रेरक_प्रसंग-
*Author प्रणय प्रभात*
सोचता हूँ रोज लिखूँ कुछ नया,
सोचता हूँ रोज लिखूँ कुछ नया,
Dr. Man Mohan Krishna
बेटा तेरे बिना माँ
बेटा तेरे बिना माँ
Basant Bhagawan Roy
*बुरा न मानो होली है(हास्य व्यंग्य)*
*बुरा न मानो होली है(हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
International Self Care Day
International Self Care Day
Tushar Jagawat
"पानी-पूरी"
Dr. Kishan tandon kranti
💐प्रेम कौतुक-558💐
💐प्रेम कौतुक-558💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बहकी बहकी बातें करना
बहकी बहकी बातें करना
Surinder blackpen
ढूँढ़   रहे   शमशान  यहाँ,   मृतदेह    पड़ा    भरपूर  मुरारी
ढूँढ़ रहे शमशान यहाँ, मृतदेह पड़ा भरपूर मुरारी
संजीव शुक्ल 'सचिन'
कैसी
कैसी
manjula chauhan
टेंशन है, कुछ समझ नहीं आ रहा,क्या करूं,एक ब्रेक लो,प्रॉब्लम
टेंशन है, कुछ समझ नहीं आ रहा,क्या करूं,एक ब्रेक लो,प्रॉब्लम
dks.lhp
जब तक जरूरत अधूरी रहती है....,
जब तक जरूरत अधूरी रहती है....,
कवि दीपक बवेजा
गोधरा
गोधरा
Prakash Chandra
Dr. Arun Kumar shastri
Dr. Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
यादों में ज़िंदगी को
यादों में ज़िंदगी को
Dr fauzia Naseem shad
रखकर कदम तुम्हारी दहलीज़ पर मेरी तकदीर बदल गई,
रखकर कदम तुम्हारी दहलीज़ पर मेरी तकदीर बदल गई,
डी. के. निवातिया
तलाश
तलाश
Vandna Thakur
कहानी -
कहानी - "सच्चा भक्त"
Dr Tabassum Jahan
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
खुद पर विश्वास करें
खुद पर विश्वास करें
Dinesh Gupta
प्यार का इम्तेहान
प्यार का इम्तेहान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...