पनघट
विधा:-गज़ल
काफिया.. पर
रदिफ… अट
बोली:–हिन्दी मिश्रित ठेठ भोजपुरी
#पनघट
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रंग रंगीली छैल छबीली चली है कनीया* पनघट पर
हाथ आढाई* ताने घूंघटा* नजर है सबकी घूंघट पर!!१!!
देखे* चाहें गली के छौड़े* जैसे ढूंढ रही हों आंखें
सब लम्पट* हैं नजर गड़ाये कनीया के ईक आहट पर!!२!!
गोड़* में पायल आंखन कजरा सीर पे गगरी* भारी* सी
रूप मोहिनी लऊक* रहा है चेहरे के हर सलवट पर!!३!!
केस* में गजरा माथे टिकुली* चाल हरीन की पाय रही
कनीया की भी नजर गड़ी इन छोरन की जमघट पर!!४!!
नैन कटिले मस्त चाल है लै गगरी ईतराय रही है
कान्खी ताक छोरन को छेड़े देखो कैसे वह तट पर!!५!!
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कनीया – बहू
आढाई – ढाई
घूंघटा – घूंघट
देखे – देख रहे
छौड़े – लड़के
लम्पट – आवारा
गोड़ – पाव, पैर
गगरी.- मिट्टी का बर्तन पानी के लिए
भारी – वजनदार
लऊक – दिखना
केस – बाल
टिकुली – माथे की बड़ी वाली बिंदी
………✍?
पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
?? मुसहरवा (मंशानगर)
बिहार