पत्नी महिमा (हास्य)
पत्नी महिमा
चंचरी छंद (हास्य)
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पत्नी का हाव – भाव,
? रहता है काँव – काँव,
?हरपल दिखाती ताव,
? कैसे समझायें।
करती है तभी प्यार,
?मिलते पैसे हजार,
?रखती ना कुछ उधार,
?किसको बतलायें।
देता उसे सम्मान,
?फिर भी मिले ना मान,
?सासत फसी है जान,
?कैसे जतलाये।
मायके की दे हूल,
?फांकता रहा मैं धुल,
?सीने में गड़ा शूल,
?किसको दिखलाये।
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✍पं.संजीव शुक्ल “सचिन”