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24 Jun 2020 · 1 min read

पत्ता टूटा शाख से

पत्ता टूटा शाख से, पतझर हावी हो गया
मौसम फिर तुझको ही, छू के गुलाबी हो गया

सहज नहीं, इस सिर को, हमेशा उठाये चलना
कर झुक के, सलाम इसे, वक़्त नवाबी हो गया

प्यार का सन्देश देती, उनकी ये तन्हाई भी
काग़ज़ पे जब ये रचा, पत्र जवाबी हो गया

गढ़ने लगीं हैं जबसे, निगाहें अफ़साने कई
बातों-बातों में, हर शेर, किताबी हो गया

नैन नशीले देखे जब, दर्द को भूल गए
मन की प्यास बुझाकर, शे’र शराबी हो गया

1 Like · 1 Comment · 227 Views
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